राज्यपाल ने मुम्बई में ‘अखिल भारतीय पश्चिम क्षेत्र कुलपति सम्मेलन’ का शुभारंभ किया
जयपुर: राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने कहा है कि विश्वविद्यालयों में पारम्परिक भारतीय ज्ञान के प्रकाश में शिक्षा का इस तरह से प्रसार किया जाए कि विद्यार्थी उससे यांत्रिक निपुणता की बजाय जीवन—कौशल से जुड़ सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के आचार्य विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करें तो पाठ्यक्रम के साथ—साथ जीवन व्यवहार से भी उन्हें जोड़ें ताकि उनकी दृष्टि का विस्तार हो सके। उन्होंने शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने, उनमें नैतिकता का प्रसार करने, देश के प्रति प्रेम बढ़ाने और आदर्श नागरिक बनाने की दिशा में कार्य होना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपतियों को विश्वविद्यालयों का बेहतर नेतृत्व करने और भारत को विश्व की ज्ञान महाशक्ति बनाने का आह्वान किया।
राज्यपाल श्री बागडे शुक्रवार को नवी मुम्बई में भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय पश्चिम क्षेत्र कुलपति सम्मेलन’ में संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन में गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और गोवा के कुलपति भाग ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय वह स्थान है, जहां से ज्ञान के बीज अंकुरित होते हैं। यहीं से हमारी युवा पीढ़ी भविष्य में कुछ बनने के स्वपन्न संजोती है। उन्होंने नई शिक्षा नीति को देश में आमूलचूल परिवर्तन करने वाली बताते हुए कहा कि इसमें भारतीयता और ‘राष्ट्र प्रथम’ को सर्वोच्च महत्व दिया गया है। इसमें विद्यार्थी को अपनी मातृभाषा मे शिक्षा मिले, ऐसा प्रावधान रखा गया है। इसमें शिक्षा के जरिए समाज के उत्थान एवं परिवर्तन के लिए कार्य करने पर जोर दिया गया है।
श्री बागडे ने विश्वविद्यालयों में रोचक उदाहरण युक्त कहानी, कहावत आदि भावनाप्रधान दृष्टि से शिक्षा प्रदान करने, छात्र को हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार करने, विश्वविद्यालय परिसर स्वच्छ और आकर्षण बनाए रखने आदि के सुझाव भी दिए। उन्होंने ‘विकसित भारत’ के लिए विश्वविद्यालयों को भी भूमिका निभाने और उन्हें देश के उत्कृष्ट ज्ञान केन्द्र बनाए जाने पर जोर दिया।
राज्यपाल ने इससे पहले विश्वविद्यालय संघ के प्रकाशन का लोकार्पण किया। आरंभ में भारतीय विश्वविद्यालय संघ की उपाध्यक्ष डॉ. पंकज मित्तल ने आयोजन के महत्व और विषयों पर विस्तार से जानकारी दी। सम्मेलन में भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पाठक, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम, डी.वाई. पाटील यूनिवर्सिटी के चांसलर और अध्यक्ष डॉ. विजय डी. पाटील, डॉ. वंदना मिश्रा, डॉ. शिवानी विजय पाटील आदि ने भी विचार रखे।