दिल्ली। मेट्रो प्रणाली ने भारत में यात्रा को परिवर्तनकारी अनुभव बना दिया है। 11 राज्यों और 23 शहरों में 1,000 किलोमीटर से ज़्यादा की दूरी तय करने वाली मेट्रो प्रणाली पर लाखों लोग तेज़, आसान और किफ़ायती यात्रा के लिए भरोसा करते हैं। इस वृद्धि के साथ, भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बन गया है। मेट्रो सिर्फ़ घूमने-फिरने का ज़रिया नहीं है – यह शहरों में हमारे रहने और आने-जाने का तरीका बदल रही है।
तेज़, सुरक्षित और विश्वसनीय यात्रा का भविष्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जनवरी को भारत के मेट्रो नेटवर्क को बढ़ाने में एक बड़ी छलांग लगाई, जिससे यह और भी शक्तिशाली और उन्नत बन गया। उन्होंने दिल्ली में 12,200 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं की नींव रखी, जिसमें दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर के 13 किलोमीटर लंबे हिस्से का उद्घाटन भी शामिल है, जिससे दिल्ली और मेरठ के बीच यात्रा करना बेहद आसान हो जाएगा। इसके अलावा, पीएम ने पश्चिमी दिल्ली को लाभ पहुँचाने वाले दिल्ली मेट्रो फेज-IV के 2.8 किलोमीटर लंबे हिस्से का शुभारंभ किया और 26.5 किलोमीटर लंबे रिठाला-कुंडली सेक्शन की नींव रखी, जिससे दिल्ली और हरियाणा के बीच कनेक्टिविटी और मजबूत होगी। ये परियोजनाएँ परिवहन के लिए एक बड़ी उपलब्धि हैं, क्योंकि मेट्रो प्रणाली अब लंबी दूरी तय करती है और प्रतिदिन 1 करोड़ से अधिक यात्रियों को सेवा प्रदान करती है। इस वृद्धि के साथ, भारत 2022 में मेट्रो रेल परियोजनाओं में जापान से आगे निकल गया है। वर्तमान में, भारत परिचालन मेट्रो नेटवर्क की लंबाई में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बनने की राह पर है।
भारत में मेट्रो के इतिहास में उपलब्धियां
मेट्रो प्रणालियों के गलियारों और लेन ने भारत में शहरी यात्रा को नया रूप दिया है, जिसकी यात्रा दशकों पहले शुरू हुई थी। 1969 में, मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के माध्यम से मेट्रो सिस्टम की पहल शुरू की गई थी। हालाँकि, पहले कदम को हकीकत बनने में लगभग दो दशक लग गए।
1984: भारत में पहली मेट्रो लाइन कोलकाता में खुली, जो एस्प्लेनेड और भवानीपुर के बीच 3.4 किलोमीटर लंबी थी। यह भारत में मेट्रो जीवन की शुरुआत थी।
1995: दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) की स्थापना दिल्ली में विश्व स्तरीय मास रैपिड ट्रांसपोर्ट लाने के लिए की गई थी। केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार की संयुक्त भागीदारी से इस परियोजना को गति मिली।
2002: डीएमआरसी ने दिल्ली में शाहदरा और तीस हजारी के बीच अपना पहला मेट्रो कॉरिडोर खोला, जिसने देश के सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्क में से एक के लिए मंच तैयार किया।
2011: नम्मा मेट्रो (बेंगलुरु मेट्रो) का पहला खंड बनाया गया।
2017: ग्रीन लाइन पर कोयम्बेडु से नेहरू पार्क तक अपने पहले भूमिगत खंड के उद्घाटन के साथ चेन्नई मेट्रो का विस्तार हुआ, जो दक्षिणी भारत के मेट्रो विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
2020: कोच्चि मेट्रो का पहला चरण पूरा हुआ, जिसमें थायकुडम-पेट्टा खंड चालू हुआ, जिससे केरल भारत में बढ़ते मेट्रो नेटवर्क का हिस्सा बन गया।
प्रमुख शहरों में मेट्रो प्रणालियों में इन प्रमुख विकासों ने विशाल और कुशल मेट्रो नेटवर्क की नींव रखी जो आज लाखों लोगों को जोड़ती है।
मेट्रो सिस्टम में उन्नति
भारत में मेट्रो का विस्तार सिर्फ़ ज़मीनी परिवहन तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि भविष्य के लिए नए-नए समाधान भी अपनाए जा रहे हैं। नदी के नीचे सुरंगों से लेकर चालक रहित ट्रेनों और जल मेट्रो तक, भारत आधुनिक शहरी गतिशीलता में नए मानक स्थापित कर रहा है।
अंडर-वाटर मेट्रो: 2024 में, पीएम मोदी ने कोलकाता में भारत की पहली अंडर-वाटर मेट्रो सुरंग का उद्घाटन किया, जहाँ एस्प्लेनेड-हावड़ा मैदान खंड हुगली नदी के नीचे से गुज़रता है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि भारत की इंजीनियरिंग क्षमताओं को दर्शाती है।
चालक रहित मेट्रो: भारत ने दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर 28 दिसम्बर, 2020 को, अपनी पहली चालक रहित मेट्रो सेवा शुरू की, जिसने सार्वजनिक परिवहन में स्वचालन के लिए एक नया मानक स्थापित किया।
कोच्चि जल मेट्रो: केरल का कोच्चि, भारत का पहला शहर बन गया, जिसने जल मेट्रो परियोजना शुरू की, जो शहर के आसपास के 10 द्वीपों को इलेक्ट्रिक हाइब्रिड नावों से जोड़ेगी। यह अभूतपूर्व पहल निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करती है, जिसमें पहली नाव दिसम्बर 2021 में शुरू की गई।
तीन मेट्रो रेल परियोजनाओं को मंजूरी :
· बेंगलुरु मेट्रो परियोजना: दो कॉरिडोर सहित 44 किलोमीटर का विस्तार।
· ठाणे मेट्रो परियोजना: ठाणे की सड़कों पर भीड़भाड़ कम करने के उद्देश्य से 29 किलोमीटर का नेटवर्क।
· पुणे मेट्रो परियोजना: शहर में शहरी गतिशीलता को और बेहतर बनाने के लिए 5.5 किमी लंबा मार्ग।
घरेलू प्रगति के साथ-साथ, मेट्रो रेल प्रणालियों में भारत की विशेषज्ञता में अंतर्राष्ट्रीय रुचि बढ़ रही है।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) वर्तमान में बांग्लादेश में मेट्रो प्रणाली के कार्यान्वयन की देखरेख कर रहा है और उसने जकार्ता में परामर्श सेवाएँ प्रदान की हैं। इज़राइल, सऊदी अरब (रियाद), केन्या और अल साल्वाडोर जैसे देश भी अपनी मेट्रो विकास परियोजनाओं के लिए डीएमआरसी के साथ सहयोग की संभावना तलाश रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत की मेट्रो प्रणाली ने कोलकाता में पहले कदम से लेकर आज देखी जाने वाली उन्नत तकनीकी विशेषताओं तक का लंबा सफर तय किया है। शहरों में फैलती परियोजनाओं और चालक रहित ट्रेनों और नदी के नीचे सुरंगों जैसे नवाचारों के साथ, मेट्रो नेटवर्क न केवल यात्रा को नया रूप दे रहा है, बल्कि टिकाऊ शहरी विकास में भी योगदान दे रहा है। जैसे-जैसे नेटवर्क बढ़ता जा रहा है, यह शहरी गतिशीलता के लिए नए मानक स्थापित करता है और अधिक सम्पर्क वाले भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है।