दिल्लीराज्य

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अवैध प्रवासी चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर निर्णायक कारक बनते जा रहे हैं

दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज देश में अवैध प्रवास पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, “हमारे भारत में लाखों ऐसे लोग हैं जिन्हें यहां रहने का कोई अधिकार नहीं है। वो यहां सिर्फ जीवनयापन ही नहीं कर रहे हैं, वो किसी न किसी रूप में, यहां अपनी आजीविका का सृजन कर रहे हैं। वे हमारे संसाधनों, हमारी शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र, आवास क्षेत्र पर दावा कर रहे हैं और अब तो बात और आगे बढ़ गई है। वे हमारी चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं। हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अंदर वह महत्वपूर्ण और निर्णायक कारक बनते जा रहे हैं।

आज महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय के 65वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए श्री धनखड़ ने प्रलोभन और बहकावे के माध्यम से धर्मांतरण के खिलाफ आगाह करते हुए कहा, “प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म का पालन करने का अधिकार है, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद का धर्म अपनाने का अधिकार है। परंतु जब धर्मांतरण भ्रमित करके, लोभ, लालच, प्रलोभन के माध्यम से होता है और इसका उद्देश्य होता है की राष्ट्र की जनसांख्यिकी बदलकर वर्चस्व हासिल करना। इतिहास साक्षी है, दुनिया के कुछ देशों में ऐसे उदाहरण हैं। आप मुझसे अधिक समझदार हैं, अधिक जानकारी रखते हैं, यह आप पता लगा सकते हैं। उन राष्ट्रों का मूल चरित्र ही मिटा दिया गया, वहां मौजूद बहुसंख्यक समुदाय गायब हो गया। हम इस जनसांख्यिकी आक्रमण की अनुमति नहीं दे सकते, जैविक जनसांख्यिकी वृद्धि स्वीकार्य है, लेकिन अगर यह नियंत्रण करने के भयावह डिजाइन के साथ हो रहा है तो विघटनकारी है, तो हमें इस पर ध्यान देना होगा। यह हमारे लिए विचारणीय विषय है। हमारे सदियों पुराने दर्शन को चुनौती दी जा रही है।” उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति के अपने चुने हुए धर्म का पालन करने के अधिकार की पुष्टि करते हुए इस बात पर बल दिया।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राष्ट्रीय संस्थाओं को कमजोर करने के व्यवस्थित प्रयासों पर भी चिंता जताई तथा चुनावी प्रक्रियाओं में धांधली करने के प्रयासों के बारे में हाल के खुलासों की गहन जांच की मांग की। “एक व्यवस्थित तरीके से, राष्ट्रपति का उपहास किया जाता है। प्रधानमंत्री का उपहास किया जाता है। मेरे पद का उपहास किया जाता है। हमारी संस्थाओं को दागदार बताया जाता है। चाहे वह चुनाव आयोग हो या न्यायपालिका। ये वे गतिविधियां हैं जो उनके मूल में बैठे लोगों द्वारा की जा रही हैं, राष्ट्रीय हित इनमें नहीं है। हाल ही में, यह आधिकारिक तौर पर खुलासा हुआ है कि हमारे चुनावों के साथ छेड़छाड़, हेराफेरी करने की कोशिश की गई थी। ऐसी स्थिति में, मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप सतर्क रहें, सोचें और बेनकाब करें और मैं संबंधित संगठनों से अपील करता हूं, समय आ गया है कि गहरी जांच, विस्तृत जांच, सूक्ष्म स्तर पर जांच करें। हमारे लोकतंत्र में हेरफेर करने की कोशिश करने वाले इन भयावह संगठनों से जुड़े सभी लोगों को बेनकाब किया जाए, जो हमारे लोकतंत्र में धांधली करने की कोशिश कर रहे हैं।”

उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में गहन जांच शुरू करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, “मैं संबंधित संगठनों से अपील करता हूं कि अब समय आ गया है कि गहन जांच की जाए, पूरी जांच की जाए, सूक्ष्म स्तर पर जांच की जाए, तथा हमारे देश को अस्थिर करने तथा हमारे लोकतंत्र से छेड़छाड़ करने की कोशिश करने वाले इन भयावह मंसूबों से जुड़े हर व्यक्ति को बेनकाब किया जाए।”

संविधान द्वारा गारंटीकृत मौलिक अधिकारों पर बोलते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन अधिकारों को मौलिक और नागरिक कर्तव्यों के परिश्रमपूर्वक निर्वहन के माध्यम से अर्जित किया जाना चाहिए,”हमारे संविधान ने हमें मौलिक अधिकार दिए हैं, लेकिन मौलिक अधिकारों तक पहुँचना तब संभव है जब आप मौलिक कर्तव्यों का पालन करते हैं, जब आप नागरिक कर्तव्यों का पालन करते हैं।”

 

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