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मानसून सत्र राष्ट्र के लिए गौरव का पल है, यह हमारी सामूहिक उपलब्धियों का सच्चा उत्सव है: प्रधानमंत्री

दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2025 के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले आज संसद परिसर में मीडिया को संबोधित किया। मानसून सत्र में सभी का स्वागत करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि मानसून नवाचार और नवीनीकरण का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि देश भर में वर्तमान मौसम की स्थिति अनुकूल हो रही है जो कृषि के लिए लाभकारी पूर्वानुमान के समान है। उन्होंने कहा कि वर्षा न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था और देश के समग्र आर्थिक ढांचे में, बल्कि प्रत्येक परिवार की वित्तीय भलाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। श्री मोदी ने कहा कि वर्तमान जानकारी के आधार पर, इस वर्ष जलाशयों का स्तर पिछले दस वर्षों की तुलना में तीन गुना बढ़ गया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह वृद्धि आने वाले दिनों में भारत की अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से लाभान्वित करेगी।

प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहली बार भारतीय तिरंगा फहराए जाने के ऐतिहासिक क्षण को रेखांकित किया और इसे प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए अपार गौरव का स्रोत बताया। उन्होंने कहा, “वर्तमान मानसून सत्र राष्ट्र के लिए अत्यंत गौरव का क्षण है। यह भारत की विजय का उत्सव है।” उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि इस उपलब्धि ने पूरे देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के प्रति नया उत्साह और उमंग जगाया है। श्री मोदी ने आगे कहा कि पूरी संसद – लोकसभा और राज्यसभा – के साथ-साथ जनता भी इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करने के लिए एकजुट है। उन्होंने कहा कि यह सामूहिक उत्सव भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण अभियानों के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन का काम करेगा।

श्री मोदी ने वर्तमान मानसून सत्र को भारत की विजय का उत्सव बताते हुए कहा कि दुनिया ने देश के सशस्त्र बलों की शक्ति और क्षमता देखी है। ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय सेना ने अपने निर्धारित लक्ष्यों को शत-प्रतिशत सफलता के साथ हासिल किया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत, केवल 22 मिनट में, भारतीय सेनाओं ने दुश्मनों के महत्वपूर्ण ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। पीएम ने बताया कि उन्होंने बिहार में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में इस ऑपरेशन की घोषणा की थी और सशस्त्र बलों ने तेज़ी से अपना पराक्रम साबित किया। श्री मोदी ने भारत की उभरती “मेड इन इंडिया” रक्षा क्षमताओं में बढ़ती वैश्विक रुचि का उल्लेख करते हुए कहा कि हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुई उनकी बातचीत के दौरान, विश्व नेताओं ने भारत के स्वदेशी रूप से विकसित सैन्य उपकरणों की प्रशंसा की है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जब संसद इस सत्र के दौरान एक स्वर में इस विजय का जश्न मनाएगी, तो यह भारत की सैन्य शक्ति को और ऊर्जावान और प्रोत्साहित करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सामूहिक भावना नागरिकों को भी प्रेरित करेगी और रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और विनिर्माण को गति प्रदान करेगी, जिससे भारत के युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दशक में शांति और प्रगति साथ-साथ आगे बढ़ती रही जिसमें हर कदम पर विकास की भावना निरंतर बनी हुई है। उन्होंने कहा कि देश लंबे समय से विभिन्न हिंसक घटनाओं से पीड़ित रहा है, चाहे वह आतंकवाद हो या नक्सलवाद, और यह आज़ादी के बाद से जारी है। श्री मोदी ने बताया कि नक्सलवाद और माओवाद का भौगोलिक विस्तार अब तेज़ी से सिकुड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के सुरक्षा बल नए आत्मविश्वास और त्वरित प्रयासों के साथ नक्सलवाद और माओवाद को पूरी तरह से समाप्त करने के लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि देश के सैकड़ों जिले अब नक्सल हिंसा की गिरफ़्त से मुक्त होकर आज़ादी की सांस ले रहे हैं। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि भारत का संविधान हथियारों और हिंसा पर हावी है। उन्होंने कहा कि पूर्व ‘रेड कॉरिडोर (हिंसा के लाल गलियारे)’ क्षेत्र अब स्पष्ट रूप से ‘ग्रीन ग्रोथ ज़ोन (हरित विकास क्षेत्र)’ में बदल रहे हैं, जो देश के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इनमें से प्रत्येक आयोजन प्रत्येक सांसद के लिए गौरव के क्षण हैं, जो देशभक्ति और राष्ट्र कल्याण के प्रति समर्पण से प्रेरित हैं। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि संसद के इस मानसून सत्र के दौरान, पूरा देश राष्ट्रीय गौरव के इस उत्सव को सुनेगा, जिसे प्रत्येक सांसद और प्रत्येक राजनीतिक दल आवाज देंगे।

प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि 2014 में जब उनकी सरकार ने कार्यभार संभाला था तब भारत पांच नाज़ुक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल था। उन्होंने कहा कि उस समय वैश्विक आर्थिक रैंकिंग में भारत दसवें स्थान पर था, लेकिन आज भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है और उस मुकाम के द्वार पर दस्तक दे रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि 25 करोड़ लोग गरीबी से उबर चुके हैं, यह एक ऐसा बदलाव है जिसे वैश्विक संस्थाओं ने व्यापक रूप से मान्यता और सराहना दी है। श्री मोदी ने कहा कि 2014 से पहले भारत दो अंकों की मुद्रास्फीति से जूझ रहा था। श्री मोदी ने कहा, “आज, मुद्रास्फीति की दर लगभग 2 प्रतिशत के आसपास रहने से नागरिक राहत और बेहतर जीवन स्तर का अनुभव कर रहे हैं। कम मुद्रास्फीति और उच्च विकास दर एक मज़बूत और स्थिर विकास यात्रा को दर्शाते हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “डिजिटल इंडिया और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) जैसी पहल दुनिया के सामने भारत की उभरती क्षमताओं को प्रदर्शित कर रही हैं और वैश्विक मान्यता प्राप्त कर रही हैं। भारत की डिजिटल प्रणाली में रुचि तेज़ी से बढ़ रही है।” उन्होंने कहा कि यूपीआई ने फिनटेक क्षेत्र में अपनी मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराई है। श्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत तत्क्षण डिजिटल लेनदेन में दुनिया में अग्रणी है और दुनिया के किसी भी अन्य देश से ज़्यादा लेनदेन दर्ज कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय संगठनों के हालिया वैश्विक शिखर सम्मेलन में भारत की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का हवाला दिया। आईएलओ के अनुसार, भारत में 90 करोड़ से ज़्यादा लोग अब सामाजिक सुरक्षा के दायरे में हैं, जो सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। प्रधानमंत्री ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) का भी ज़िक्र किया, जिसने भारत को ट्रेकोमा रोग से मुक्त घोषित किया है। ट्रेकोमा मानसून के मौसम में आमतौर पर होने वाली आंख की एक बीमारी है।

दुनिया को झकझोर देने वाला और आतंकवाद तथा उसके प्रायोजकों की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने वाले पहलगाम नृशंस हत्याकांड को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके जवाब में, अधिकांश राजनीतिक दलों और राज्यों के प्रतिनिधियों ने दलगत स्वार्थों से ऊपर उठकर राष्ट्र की सेवा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कदम बढ़ाया। उन्होंने इस एकीकृत कूटनीतिक अभियान की सफलता पर प्रकाश डाला, जिसने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में बेनकाब किया। श्री मोदी ने इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पहल को अंजाम देने वाले सांसदों और राजनीतिक दलों की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि उनके प्रयासों से देश में एक सकारात्मक माहौल बना और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आतंकवाद पर भारत के दृष्टिकोण की ओर गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हित में इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए सभी संबंधित लोगों की सराहना करना उनके लिए सौभाग्य की बात है।

एकता की शक्ति और राष्ट्र को प्रेरित व ऊर्जावान बनाने वाली एकजुटता की भावना पर ज़ोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान मानसून सत्र विजय उत्सव के रूप में इसी भावना को प्रतिबिंबित करेगा, भारत की सैन्य शक्ति और राष्ट्रीय क्षमता का सम्मान करेगा और 140 करोड़ नागरिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि सामूहिक प्रयास रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होंने राष्ट्र से सशस्त्र बलों की ताकत को पहचानने और उसकी सराहना करने का आग्रह किया। जनता और राजनीतिक दलों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने एकता से मिलने वाली शक्ति और पूरे देश के एक स्वर में बोलने के प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी सांसदों से संसद में इस भावना को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। राजनीतिक दलों और उनके संबंधित एजेंडों की विविधता को स्वीकार करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि दलीय हितों पर राय अलग-अलग हो सकती है, लेकिन राष्ट्रीय हित के मामलों में इरादों में सामंजस्य होना चाहिए। उन्होंने यह दोहराते हुए अपने संबोधन का समापन किया कि इस सत्र में राष्ट्र के विकास को गति देने, नागरिकों को सशक्त बनाने और भारत की प्रगति को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से कई प्रस्तावित विधेयक शामिल होंगे। उन्होंने सभी संसद सदस्यों को सार्थक एवं बेहतर गुणवत्ता वाली बहस के लिए शुभकामनाएं दीं।

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