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सिर्फ इमोशन से नहीं होती राज्य के विकास की परिकल्पना – उपराष्ट्रपति

दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सिविल सेवा दिवस के अवसर पर देश के सभी सिविल सेवकों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “मैं देश के हर सिविल सेवक को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। लोकतंत्र में, शासन में, सिविल सेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सिविल सेवक विकास की दिशा तय करते हैं। सिविल सेवक नीतियों को जमीनी हकीकत में बदलने का माध्यम होते हैं।” भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जयपुर में फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज़ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, “आज भारत दुनिया का सबसे आकांक्षी देश है। हर व्यक्ति की इच्छाएं और अधिक बढ़ गई हैं। प्रतियोगी बढ़ गए हैं। और वो ओपेरा को कलाकृति से देखना लग गया है। ऐसी परिस्थिति में विकास की धारा थोड़ी भी कम होती है तो लोग बेचैन हो जाते हैं। बेचैनी है इसलिए Civil Services की बहुत बड़ी अहमियत है।”

श्री धनखड़ ने भारत की संघीय शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए कहा “अलग-अलग दल अलग-अलग प्रांतों में शासन करते हैं, जिससे सिविल सेवा की अहमियत और भी बढ़ जाती है। उन्होंने सिविल सेवकों को “संघवाद के वास्तविक प्रहरी और रक्षक” बताते हुए कहा कि इस पावन दिन पर सिविल सेवकों को व्यवस्थित और नियमानुसार कार्य करने का संकल्प लेना चाहिए।” साथ ही इस अवसर पर उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि “यदि सिविल सेवक राजनीतिक व्यवस्था, राजनेताओं या उद्योग, व्यापार, व्यवसाय और वाणिज्य के चुनिंदा लोगों के साथ गठजोड़ करते हैं, तो इससे सम्पूर्ण व्यवस्था कमजोर हो जाती है। सिविल सेवा का यह अनुचित मेल संघीय व्यवस्था के लिए भी अत्यंत खतरनाक है।”

उपराष्ट्रपति ने अपेक्षा व्यक्त की कि देश के सिविल सेवक सर्वोच्च मानकों का उदाहरण प्रस्तुत करें और पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाएं। उन्होंने कहा “भारत के सिविल सेवकों ने यह साबित कर दिया है कि कोई भी काम उनकी योग्यता से परे नहीं है।”

राजस्थान के विकास पर विशेष ध्यान देने की बात रखते हुए श्री धनखड़ ने राज्य की समृद्ध विरासत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा। “हम देश में कहाँ हैं — अपने खुश हो सकते हैं। राजस्थान में जयपुर ‘Pink City’ है, उदयपुर ‘City of Lakes’ है, जोधपुर ‘Blue City’ है, ‘Sun City’ है, जैसलमेर ‘Golden City’ है। और वहीं क्यों रुको? अपने बूंदी देख लो, टोंक देख लो, अजमेर देख लो, पूरी शेखावाटी देख लो, अलवर देख लो, भरतपुर देख लो — खज़ाना ही खज़ाना है! UNESCO Heritage Sites हमारे हैं।” उन्होंने राजस्थान की तुलना गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, पुणे, बैंगलोर, हैदराबाद, सूरत, अहमदाबाद और लखनऊ जैसे शहरों से की, जिन्होंने विकास में बड़ी छलांग लगाई है।

राजस्थान में आदमी बिना कुछ किए भी आना चाहेगा क्योंकि इसका आकर्षण जबरदस्त है।

दुनिया के कई देश हैं जिनकी इकोनॉमी सिर्फ टूरिज्म पर चलती है। उनकी इकोनॉमी जबरदस्त है, क्योंकि उनका टूरिज्म कल्चर है, वे ट्रेन करते हैं लोगों को कि टूरिस्ट आएगा तो उसे कैसे डील किया जाएगा।

राज्य की प्रगति को नई दिशा देने के लिए विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, खनिज में मूल्य संवर्धन, कपड़ा, हस्तशिल्प, सेवा उद्योग, नवीकरणीय ऊर्जा और सौर ऊर्जा में अकल्पनीय संभावनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “राजस्थान सेवा उद्योग, आईटी उद्योग और शिक्षा के विकास के लिए एक प्राकृतिक क्षेत्र है, फिर भी ग्रीनफील्ड परियोजनाएं नहीं आ रही हैं।

श्री धनखड़ ने FORTI जैसे संगठनों से कई थिंक टैंक स्थापित करने का आह्वान किया, जो राजस्थान के उत्पादों में मूल्य संवर्धन पर केंद्रित हों। उन्होंने राज्य के खनिज संपदा के मूल्य संवर्धन पर जोर देते हुए कहा कि, “यदि अगर पूरा ही फोकस बजरी पर होगा तो मामला आगे कैसे बढ़ेगा? ये तो ट्रेडिंग का मामला है। तो किसी भी राज्य के विकास की परिकल्पना इमोशन से नहीं होती।”

अपने संबोधन के अंत में, उपराष्ट्रपति ने जयपुर को “विश्व स्तरीय शहर” बताते हुए कहा कि “यह अधिक ध्यान, विकास और सेवा तथा आईटी उद्योगों के केंद्र के रूप में मान्यता का हकदार है। उन्होंने आगे कहा, “हमारे पास गुणवत्तापूर्ण जीवन और व्यंजन प्रदान करने की क्षमता है। परिवार यहां रहना पसंद करेंगे,” साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वर्तमान वास्तविकता और इस दृष्टि के बीच अभी काफी अंतर है।

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