
टीबी संक्रमण से मरीजों में जान का जोखिम कम करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने नया मॉडल विकसित किया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने दावा किया कि इस मॉडल के जरिये किसी भी राज्य या जिले में टीबी से होने वाली मौतों में बड़ी गिरावट लाई जा सकती है। इसे हर राज्य में लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश की गई है। कर्नाटक और गुजरात में भी छोटे पैमाने पर परीक्षण हुए, लेकिन तमिलनाडु पहला राज्य बना जहां इसे राज्य स्तर पर लागू किया।
गंभीर मरीजों की पहचान कर समय रहते अस्पताल में भर्ती कराने के मॉडल तमिलनाडु कसनोई एरप्पिला थिट्टम यानी टीएन-केईटी नाम दिया गया है। रिपोर्ट बताती है कि 2024 की पहली तिमाही में राज्य के 21 जिलों में टीबी मृत्यु दर में कम से कम 20% की गिरावट दर्ज की गई है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ने बताया कि अगर कोई मधुमेह रोगी है और उसे टीबी संक्रमण होता है, तो ऐसे रोगी को जोखिम श्रेणी में रखा जा सकता है। हैरानी यह है कि जब इस मॉडल को लागू किया गया, तो दूसरी तिमाही के बीच टीबी मौत में 21% की कमी आई। 2024 की रिपोर्ट बताती है कि इस मॉडल को अपनाने के बाद 21 जिलों में 20% से अधिक मृत्यु दर में गिरावट आई है।
क्या है टीएन-केईटी मॉडल?
यह भारत का पहला राज्य-व्यापी डिफरेंशिएट टीबी केयर मॉडल है, जिसमें सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में मरीजों की त्रैजिंग यानी प्रारंभिक स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। जिन मरीजों में बहुत गंभीर कुपोषण, सांस लेने में तकलीफ या कमजोर शारीरिक स्थिति पाई जाती है, उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती किया जाता है। 2024 में टीबी से पीड़ित 53,793 वयस्कों में से 52,603 (98%) की त्रैजिंग की गई, जिनमें से 6,687 (12%) मरीजों को त्रैज पॉजिटिव पाया गया। इनमें से 93% मरीजों को भर्ती किया और इलाज पूरा कर उन्हें घर वापस भेजा गया। इनमें अधिकतर गंभीर कुपोषण की चपेट में थे। शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे शुरुआती दो महीने के भीतर होने वाली टीबी मौतों को रोका जा सकता है।
क्या रहा असर?
टीएन-केईटी से इलाज के दौरान, जुलाई-सितंबर 2022 की तुलना में राज्य के दो-तिहाई जिलों में टीबी मृत्यु दर में कमी आई है। जनवरी-मार्च 2022 की तुलना में जुलाई-सितंबर 2022 में शुरुआती टीबी मौतों में 21% की कमी दर्ज की गई। इसके अलावा, कुल मृत्यु दर में 10% की गिरावट देखी गई, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह प्रभाव तीसरी और चौथी तिमाही में कमजोर हो गया, जो संकेत देता है कि स्थायी असर के लिए निगरानी और समर्थन लगातार जरूरी है।
पुडुचेरी के मेडिकल कॉलेज टीबी उन्मूलन में अग्रणी
पुडुचेरी देश में तपेदिक (टीबी) उन्मूलन की दिशा में आदर्श मॉडल के रूप में उभर रहा है। इसका श्रेय प्रदेश के 10 मेडिकल कॉलेजों को जाता है, जिन्होंने न सिर्फ टीबी की अधिसूचना में 50% से अधिक योगदान दिया है, बल्कि सक्रिय खोज, सामुदायिक परीक्षण, तकनीकी नवाचार और मेडिकल छात्रों की भागीदारी से भी राष्ट्रीय कार्यक्रम को गति दी। प्रदेश के टीबी अधिकारी डॉ. का दावा है कि 10 मेडिकल कॉलेजों ने सामुदायिक चिकित्सा विभाग के सहयोग से 5.2 लाख व्यक्तियों की घर-घर जाकर जांच की।