
दिल्ली। भारत में सेमीकंडक्टर डिजाइन इकोसिस्टम दिन-प्रतिदिन सशक्त होता जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) की डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना और इसके चिप्स टू स्टार्टअप (सी2एस) कार्यक्रम के तहत सहायता प्राप्त स्टार्टअप अब महत्वपूर्ण रूप से तेजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
नेत्रसेमी को 107 करोड़ रुपये का उद्यम पूंजीगत निवेश मिला
सरकार की चिप डिजाइन योजना के तहत मिले सहयोग से नेत्रसेमी स्टार्टअप को 107 करोड़ रुपये का उद्यम पूंजीगत (वीसी) निवेश प्राप्त हुआ है। यह कंपनी स्मार्ट विजन, सीसीटीवी कैमरा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसे अनुप्रयोगों के लिए चिप्स बनाने पर काम कर रही है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी अश्विनी वैष्णव ने इस सफलता का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि भारत में महत्वपूर्ण डिजाइन क्षमताएं निहित हैं। श्री वैष्णव ने कहा है कि भारत सेमीकंडक्टर मिशन द्वारा देश में डिजाइन को सहायता दिए जाने के साथ नेत्रसेमी की सफलता अन्य भारतीय स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करेगी।
भारतीय स्टार्टअप्स के लिए 234 करोड़ रुपये
साल 2022 में डीएलआई योजना के शुभारंभ के बाद से:
सरकार ने 22 कंपनियों से चिप डिजाइन परियोजनाओं के लिए 234 करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की प्रतिबद्धता जताई थी, जिसकी कुल परियोजना लागत 690 करोड़ रुपये थी।
इन चिप्स का उपयोग सीसीटीवी कैमरों, मोबाइल नेटवर्क, उपग्रहों, कारों, स्मार्ट उपकरणों आदि में किया जाता है।
इन स्टार्टअप्स ने मिलकर उद्यम पूंजीगत निवेशकों से 380 करोड़ रुपये से अधिक धन जुटाया है।
पांच स्टार्टअप पहले ही वैश्विक चिप निर्माताओं के साथ अपने चिप डिजाइन का निर्माण और परीक्षण कर चुके हैं।
72 से अधिक कम्पनियों को चिप्स डिजाइन करने में सहायता के लिए उन्नत सॉफ्टवेयर टूल्स तक पहुंच प्रदान की गई है।
निजी निवेश से सहायता प्राप्त स्टार्टअप्स के कुछ अन्य उदाहरण इस प्रकार हैं:
माइंडग्रोव टेक्नोलॉजीज (सीसीटीवी चिप डिजाइन) ने 85 करोड़ रुपये जुटाए
फर्मियोनिक डिजाइन (उपग्रह संचार चिप) ने 50 करोड़ रुपये प्राप्त किये
मॉर्फिंग मशीन, इनकोर सेमीकंडक्टर्स और बिगइंडियन सेमीकंडक्टर्स उत्पादन चरणों की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं
‘उत्पाद राष्ट्र’ बनने की भावना से सरकार नई कंपनियों को चिप डिजाइन में साहसिक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जबकि निजी निवेशक भी अब उन्हें आगे बढ़ने और अपने चिप्स को बाजार में लाने में सहायता प्रदान कर रहे हैं।