छत्तीसगढ़राज्य

छत्तीसगढ़ में समय से पहले मानसून की दस्तक: मई में रिकॉर्डतोड़ बारिश

रायपुर। छत्तीसगढ़ इस बार असामान्य और रिकॉर्डतोड़ बारिश का सामना कर रहा है। मई के अंतिम सप्ताह में पांच दिनों के भीतर 2,840 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य आंकड़ों से छह गुना अधिक है। भारतीय मौसम विभाग ने इसे प्री-मानसून की जल्द शुरुआत और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बताया है।

समय से पहले पहुंचा मानसून
मौसम विभाग के मुताबिक, केरल में मानसून समय से पहले पहुंच चुका है, और 8 जून तक छत्तीसगढ़ में इसकी आधिकारिक एंट्री की संभावना है — जो सामान्य समय (13 जून) से करीब 5 दिन पहले है। यह पिछले पांच वर्षों में मानसून की सबसे जल्दी दस्तक मानी जा रही है।

भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त

बारिश से सड़कों पर जलभराव, ग्रामीण इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति और आकाशीय बिजली की घटनाएं सामने आई हैं। कोरबा में कक्षा 8वीं के छात्र की मौत बिजली गिरने से हो गई। अंबिकापुर में तेज बारिश के बाद नदी-नालों का जलस्तर बढ़ा और कई गांवों में लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए।

तापमान में गिरावट, मौसम तेजी से बदल रहा
बारिश के चलते तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई:
25 मई को अधिकतम तापमान: 34.4°C
26 मई को घटकर रह गया: 34.1°C
पेंड्रा रोड: अधिकतम 36.3°C, न्यूनतम 23.4°C

कहां कितनी बारिश?
पिछले 24 घंटों में 460 मिमी बारिश, सुहेला में सर्वाधिक 60 मिमी वर्षा दर्ज
राज्य में बारिश असमान रूप से वितरित — कहीं भारी, कहीं सामान्य
मंगलवार को 27 स्थानों पर कम से कम 10 मिमी बारिश दर्ज की गई

प्रशासन अलर्ट पर, नागरिकों से सावधानी की अपील
मौसम विभाग ने आगामी दिनों में गरज-चमक, बिजली गिरने और ओलावृष्टि की संभावना जताई है। सभी जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। नागरिकों को सलाह दी गई है कि आकाशीय बिजली की गड़गड़ाहट होते ही पक्के आश्रय में जाएं।  पेड़, बिजली के खंभे या खुले मैदान से दूर रहें। मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग से बचें। उखड़ू बैठने की मुद्रा में रहें यदि कोई सुरक्षित स्थान न हो।

सरकार की चुनौती: तेज बारिश से उपजी आपदा से निपटना
बारिश के साथ अब सरकार और प्रशासन के सामने दोहरी चुनौती है: समय से पहले और तेज मानसून की प्रभावी निगरानी और प्रतिक्रिया और बाढ़, बिजली गिरने और जनहानि जैसी आपदाओं से सुरक्षा की तैयारी।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति केवल मौसमी नहीं, बल्कि जलवायु संकट का संकेत भी है। समय रहते यदि सजगता और सतर्कता नहीं बरती गई, तो आने वाले सप्ताह और अधिक कठिन साबित हो सकते हैं।

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