
दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि, ‘‘भारत अब वादा करने वाला देश नहीं रह गया है। भारत पर अब सपेरों का देश होने का चिन्ह नहीं लगा है। भारत पूरी दुनिया को अपनी क्षमता से आकर्षित कर रहा है।’’
हाल के दशक में भारत के विकास पथ पर विचार करते हुए धनखड़ ने रेखांकित किया, ‘‘जन-केंद्रित नीतियों और पारदर्शी जवाबदेह शासन ने इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया है… 1.4 बिलियन का राष्ट्र, ग्रामीण क्षेत्र में हुए परिवर्तनकारी बदलाव को देखिये। हर घर में शौचालय है, बिजली कनेक्शन है, पानी का कनेक्शन आने वाला है, गैस कनेक्शन है… कनेक्टिविटी, इंटरनेट और सड़क, रेल और स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में सहायता करने वाली नीतियां हैं। ये हमारी विकास पथ को परिभाषित करते हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘यह आर्थिक पुनर्जागरण, जो कुछ साल पहले कल्पना से परे, चिंतन से परे, सपनों से परे था, ने हमारे सनातन धर्म का सार, समावेशिता, गैर-भेदभावपूर्ण, एक समान, समान रूप से न्यायसंगत विकास के परिणाम और फल उत्पन्न किए हैं। किसी भी योग्यता, जाति, धर्म, जाति, रंग से परे प्रयास किया गया है कि लाभ अंतिम पंक्ति में रहने वाले लोगों तक पहुंचना चाहिए और यह बड़ी सफलता के साथ किया जा रहा है। आज तिरुवनंतपुरम में ‘लोकतंत्र, जनसांख्यिकी, विकास और भारत का भविष्य’ विषय पर चौथा पी. परमेश्वरन स्मारक व्याख्यान देते हुए, धनखड़ ने कहा, ‘‘[श्री पी. परमेश्वरन] भारतीय मूल्यों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता, भारतीय लोकाचार की उनकी गहरी समझ और राष्ट्रीय एकता के लिए उनका अथक प्रयास पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। एक आत्मनिर्भर भारत, सांस्कृतिक रूप से निहित और आध्यात्मिक रूप से जागृत भारत के लिए उनका दृष्टिकोण पूरे देश में गहराई से गूंजता है।’