
रायपुर। कलिंगा विश्वविद्यालय और केंद्रीय भूजल बोर्ड, जल शक्ति मंत्रालय, उत्तर मध्य छत्तीसगढ़ क्षेत्र, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। कलिंगा विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित हस्ताक्षर समारोह में “भूजल संसाधनों के सतत विकास और प्रबंधन” पर ध्यान केंद्रित किया गया।
केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार का एक अधीनस्थ कार्यालय है, जो देश के भूजल संसाधनों के प्रबंधन, अन्वेषण, निगरानी, मूल्यांकन, संवर्धन और विनियमन के लिए वैज्ञानिक इनपुट प्रदान करने की जिम्मेदारियां सौंपी गई है।
उत्तर मध्य छत्तीसगढ़ क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. प्रबीर कुमार नायक और कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संदीप गांधी ने कुलपति डॉ. आर. श्रीधर, कलिंगा विश्वविद्यालय एवं डॉ. देवशरण वर्मा, वैज्ञानिक डी, केंद्रीय भूजल बोर्ड तथा विश्वविद्यालय के डीन और विभागाध्यक्षों की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
इस कार्यक्रम में श्रीमती मोनिका सिंह, वैज्ञानिक सी, केंद्रीय भूजल बोर्ड तथा कलिंगा विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज सिंह एवं सह-प्राध्यापक डॉ. अजय हरित भी उपस्थित थे ।
इस साझेदारी का उद्देश्य जल संरक्षण और विवेकपूर्ण भूजल प्रबंधन के महत्व पर विशेषज्ञों द्वारा कलिंग विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के लिए विभिन्न क्षमता निर्माण गतिविधियों का आयोजन करना, जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना, जिसमें छात्र भाग ले सकें, केंद्रीय भूजल बोर्ड में छात्रों के लिए इंटर्नशिप आदि का आयोजन करना है।
कलिंगा विश्वविद्यालय मध्य भारत का एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है। नवाचार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए, विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा ग्रेड B+ से मान्यता प्राप्त है। यह छत्तीसगढ़ का एकमात्र निजी विश्वविद्यालय है, जो शीर्ष 101-150 विश्वविद्यालयों के बैंड में लगातार तीसरे वर्ष 2022, 2023 और 2024 के लिए NIRF रैंकिंग में शामिल है। नेतृत्व शक्ति के विकास के साथ जिम्मेदार नागरिकों की भावना विकसित करने के लिए छात्रों में वैश्विक मानदंडों के अनुसार नवाचार को शामिल करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बहु-विषयक अनुसंधान-केंद्रित शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों को प्रशिक्षित किया जाता है।