
रायपुर। दादाबाड़ी में आत्मोत्थान चातुर्मास 2025 के अंतर्गत चल रहे प्रवचन श्रृंखला में परम पूज्य श्री हंसकीर्ति श्रीजी म.सा. ने धर्मरत्न प्रकरण ग्रंथ का पठन कर रही हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को उन्होंने कहा कि धर्म-आराधना करते समय मन में उत्साह होना चाहिए क्योंकि जितना उत्साह होगा धर्म उतना ही प्रभावी होगा।
उत्साह तीन मूल शब्दों से बना है—पहला है उमंग। किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले मन में उमंग होनी चाहिए। उमंग के बिना किया गया कार्य केवल औपचारिकता बनकर रह जाता है। दूसरा है साहस—उमंग तो कई लोग लाते हैं, लेकिन साहस की कमी के कारण अधूरे रास्ते में रुक जाते हैं। साहस का अर्थ है अपने पास की चीजों का त्याग करना, साथ ही उन फलों का भी त्याग करना जो भविष्य में मिलने वाले हैं। तीसरा है हिम्मत—अपने साथ-साथ दूसरों को भी आगे बढ़ाने का सामर्थ्य, दूसरों की सहायता करने का भाव। केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी कार्य करने की हिम्मत होनी चाहिए।
कई लोग सात्विक जीवन जीते हैं, लेकिन गलत संगत के कारण व्यसनों में फँस जाते हैं। जीवन में वातावरण का गहरा असर होता है। साध्वीजी ने एक कथा के माध्यम से समझाया कि एक राजा का पड़ोसी राज्य से युद्ध चल रहा था। चातुर्मास के समय, एक लड़ाकू हाथी युद्ध में निष्क्रिय हो गया। राजा के पूछने पर मंत्री ने हाथी की स्थिति जानी और पाया कि वह साधुओं के पास बैठकर देशना सुन रहा है, जिससे उसका मन शांत और युद्ध के प्रति निरुत्साहित हो गया है। राजा ने हाथी को सेना के बीच एक दिन रखा, और हथियारों व सैनिकों की ध्वनि सुनकर हाथी फिर से आक्रामक हो गया। यानी चार महीनों का सात्विक अभ्यास एक दिन में नष्ट हो गया।
साध्वीजी कहती हैं कि गुणों का पर्वत चढ़ना कठिन है, पर दोषों की खाई में गिरना अत्यंत आसान। हम बच्चों को स्कूल भेजते हैं ताकि वे शिक्षा और मंदिर भेजते हैं ताकि वे संस्कार सीखें, लेकिन जब वही बच्चा अपशब्द बोलने लगे तो यह सुनना बहुत पीड़ादायक होता है। अपशब्द सीखाने की आवश्यकता नहीं होती, यह तो संगत का प्रभाव होता है। यदि बच्चा गलत संगत में चला गया, तो कुछ ही दिनों में वह अनैतिकता सीख लेगा।
जीवन एक खेत की तरह होता है—जिसमें फसल चाहिए तो बीज बोने होंगे। अगर हम अच्छे बीज नहीं बोएंगे, तो वहां कांटे और जंगली पौधे स्वतः उग आएंगे। इसी प्रकार, जीवन को भी अच्छा और सात्विक माहौल चाहिए। अगर हम इसे गलत वातावरण में रखेंगे तो आत्मा के गुण समाप्त हो जाएंगे। इसलिए अपने जीवन को उस ओर ले जाएँ जहां आत्मा के गुण सुरक्षित रह सकें और विकास पा सकें।
गिरनारी नेमि जन्मकल्याणक महोत्सव 29 जुलाई को
दादाबाड़ी में 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान के जन्मकल्याणक के अवसर पर गिरनारी नेमि जन्मकल्याणक महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। इस दिन सुबह 9 बजे भगवान का अष्टोतरी अभिषेक होगा, जिसमें नासिक के सुप्रसिद्ध संगीतकार हर्ष शाह अपनी प्रस्तुति देंगे और विधिकारक राकेश भाई पंडितजी, नासिक होंगे। वहीं, रात को 8.30 बजे गिरनार से भव पार का आयोजन किया जाएगा जिसमें नासिक के सुप्रसिद्ध संगीतकार हर्ष शाह अपनी प्रस्तुति देंगे और संचालक संकेत गांधी होंगे। नेमिनाथ जन्मकल्याणक के दिन एकसना की व्यवस्था होगी, जिसमें आप ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लें और ऑफिस में अपना नाम दर्ज कराएं।
श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय कुमार भंसाली, आत्मोत्थान चातुर्मास समिति 2025 के अध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे साध्वीजी का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।