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दिल्ली। भारत के निर्यात में ऐतिहासिक उछाल देखा गया, जो 2023-24[1] में 778.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। यह 2013-14[2] के 466.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 67% की बढ़ोतरी दर्शाता है। यह उछाल वैश्विक व्यापार में भारत की बढ़ती भूमिका को प्रदर्शित करता है, जो माल और सेवा निर्यात दोनों में मजबूत प्रदर्शन पर आधारित है।
2023-24 में, व्यापारिक माल निर्यात 437.10 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि सेवाओं के निर्यात ने 341.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया, जो एक अच्छे संतुलित विस्तार को दर्शाता है। इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग वस्तुएं, लौह अयस्क और कपड़ा जैसे प्रमुख क्षेत्रों ने इस उछाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रणनीतिक नीतिगत उपायों, बढ़ती प्रतिस्पर्धात्मकता और व्यापक बाजार पहुंच की वजह से सुदृढ़ होकर, भारत का निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र अब अधिक लचीला और वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रति गहराई से एकीकृत है।
यह गति वित्त वर्ष 2024-25 में भी जारी है, जिसमें अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान संचयी निर्यात 602.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, जो 2023[3] की इसी अवधि में 568.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 6.03% ज्यादा है। रणनीतिक नीतिगत उपायों, बढ़ती प्रतिस्पर्धात्मकता और व्यापक बाजार पहुंच की वजह से सुदृढ़ होकर, भारत का निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र अब अधिक लचीला और वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रति गहराई से एकीकृत है।
निर्यात वर्गीकरण और प्रगति के रुझान
मजबूत विनिर्माण आधार और बढ़ती वैश्विक मांग के कारण व्यापारिक माल का निर्यात 2013-14[4] में 314 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 437.10 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। आईटी, वित्तीय और व्यावसायिक सेवाओं में तेज उछाल के चलते सेवा निर्यात 2013-14[5] में 152 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 341.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
वर्षों से अग्रणी निर्यात क्षेत्र
2004-05 में, भारत का निर्यात मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय संघ, उत्तर-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया-खाड़ी सहयोग परिषद और आसियान जैसे क्षेत्रों को निर्देशित था। 2013-14 तक, इन क्षेत्रों में निर्यात मूल्य में भारी उछाल आया, जिसमें उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय संघ और पश्चिम एशिया में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। तेजी से 2023-24 तक बढ़ते हुए, निर्यात परिदृश्य में निरंतर विस्तार दिखता है, जिसमें उत्तरी अमेरिका सबसे बड़े गंतव्य के रूप में अग्रणी है। यूरोपीय संघ, पश्चिम एशिया और आसियान में मजबूत प्रगति देखने को मिली, जो बीते कुछ वर्षों में भारत के विविध और मजबूत वैश्विक व्यापार संबंधों को दर्शाता है।