
रायपुर। IEEE मध्यप्रदेश सेक्शन के तत्वावधान में तथा IEEE रीजन 10 के सहयोग से कलिंगा विश्वविद्यालय, नया रायपुर में 25 और 26 जुलाई, 2025 को “गुणवत्ता युक्त सम्मेलन” विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न संस्थाओं द्वारा आयोजित सम्मेलनों की गुणवत्ता को सुदृढ़ करना था, जिसमें विशेष रूप से IEEE सम्मेलनों पर ध्यान केंद्रित किया गया। कार्यशाला में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट सम्मेलन आयोजन हेतु प्रभावशाली रणनीतियों को विकसित करने पर बल दिया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन प्रो. (डॉ.) जी.एस. तोमर, चेयरपर्सन, IEEE मध्यप्रदेश सेक्शन द्वारा किया गया, जो इस अवसर पर मुख्य अतिथि भी रहे।
छत्तीसगढ़ के विभिन्न संस्थानों से 19 IEEE छात्र शाखा स्वयंसेवकों ने तथा इंदौर, रायगढ़ एवं भोपाल से आए 23 प्रोफेशनल्स ने इस विचारोत्तेजक चर्चा में भाग लिया। कार्यशाला में कुल 8 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिनमें सम्मेलन योजना, प्रायोजन, ब्रांडिंग, पेपर प्रोसीडिंग्स, पियर रिव्यू, इंडेक्सिंग आदि महत्वपूर्ण बिंदुओं को सम्मिलित किया गया।
प्रो. जी.एस. तोमर ने सम्मेलन की प्रभावशाली योजना और प्रायोजन पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने IEEE में सम्मेलन आवेदन की प्रक्रिया में सटीक जानकारी देने की आवश्यकता पर बल दिया और प्रतिस्पर्धा की बजाय सहयोग को प्राथमिकता देने की सलाह दी। उन्होंने EDAS प्लेटफ़ॉर्म को MS CMT से बेहतर बताया तथा वित्तीय योजना और सम्मेलन की पृथक वेबसाइट के महत्व को रेखांकित किया।
डॉ. चाणक्य झा, डायरेक्टर प्लानिंग, SGI पुणे, ने पियर रिव्यू और इंडेक्सिंग प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि IEEE में अधिकतम 30% शोध पत्रों को ही चयनित किया जाता है। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के युग में मैन्युअल जांच की आवश्यकता पर बल दिया और समीक्षा टीम के आकार, गुणवत्ता एवं प्लैगरिज़्म की जांच जैसे विषयों पर भी चर्चा की।
श्री एच.के. बिरादरपाटिल, NCE बेंगलुरु ने TPC प्रक्रिया और प्रोसीडिंग्स तैयारी पर सत्र लिया।
डॉ. विजयलक्ष्मी बिरादर, निदेशक, IQAC, कलिंगा विश्वविद्यालय एवं सचिव, IEEE WIE MP सेक्शन ने सम्मेलन की लॉजिस्टिक्स, वैश्विक पहुंच, ब्रांडिंग, कार्यक्रम निर्धारण और प्रायोजन के विभिन्न पहलुओं पर उपयोगी जानकारी दी। उन्होंने IEEE V-Tools के प्रभावी उपयोग पर बल दिया तथा IEEE एवं अन्य स्रोतों से मिलने वाली फंडिंग एवं अनुदानों पर भी प्रकाश डाला।
कार्यशाला का समापन फीडबैक सत्र और प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ, जिसके पश्चात प्रतिभागियों को छत्तीसगढ़ जनजातीय संग्रहालय का भ्रमण कराया गया।
यह कार्यशाला अकादमिक एवं शोध उत्कृष्टता की संस्कृति को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल रही। इसने सम्मेलन आयोजन में नैतिकता, वैश्विक मानकों एवं प्रभावशाली योजना की भावना को सुदृढ़ किया। संस्था भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन कर अनुसंधान एवं प्रकाशन मानकों को ऊँचाई देने के लिए प्रतिबद्ध है।