दिल्लीराज्य

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से स्व-ऑडिट और डार्क पैटर्न समाप्‍त करने का आग्रह: केन्‍द्र

दिल्ली। डार्क पैटर्न में डिज़ाइन और लुभावने वास्‍तुशिल्‍प का इस्तेमाल करके उपभोक्ताओं को धोखा देने, उनके साथ जबरदस्‍ती करने या प्रभावित करके ऐसे विकल्प चुनना शामिल है जो उनके हित में न हों। डार्क पैटर्न में कई तरह की हेराफेरी की जाती है, जैसे कि ड्रिप प्राइसिंग, छिपे हुए विज्ञापन, प्रलोभन और धोखा, झूठी तात्कालिकता आदि। ऐसी कार्य प्रणालियां उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 की धारा 2 की उप-धारा 47 में परिभाषित “अनुचित व्यापार तरीकों” की श्रेणी में आती हैं।

केन्‍द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 की धारा 18 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, ई-कॉमर्स क्षेत्र में चिन्हित 13 विशिष्ट डार्क पैटर्न को सूचीबद्ध करते हुए, डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन हेतु 30 नवम्‍बर, 2023 को “डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन हेतु दिशानिर्देश, 2023” जारी किए। इन डार्क पैटर्न में झूठी तात्कालिकता, बास्केट स्नीकिंग, कन्फर्म शेमिंग, जबरन कार्रवाई, सब्सक्रिप्शन ट्रैप, इंटरफ़ेस इंटरफेरेंस, बैट एंड स्विच, ड्रिप प्राइसिंग, प्रच्छन्न विज्ञापन, सता, ट्रिक वर्डिंग, सास बिलिंग और दुष्ट मैलवेयर शामिल हैं।

. इसके अलावा, उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और निष्पक्ष व्यापार कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार के उपभोक्ता कार्य विभाग ने 28 मई, 2025 को माननीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों, उद्योग संघों, स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ भ्रामक ऑनलाइन कार्य प्रणालियों को समाप्त करने पर केन्‍द्रित बातचीत के लिए एक बैठक बुलाई।

उक्त बैठक के परिणामस्वरूप, केन्‍द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा 5 जून, 2025 को “ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स द्वारा अपने प्लेटफॉर्म्स पर डार्क पैटर्न का पता लगाने और एक निष्पक्ष, नैतिक और उपभोक्ता केंद्रित डिजिटल इकोसिस्टम बनाने के लिए स्व-ऑडिट पर उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के संदर्भ में एक एडवाइजरी” जारी की गई।

इस एडवाइजरी के माध्यम से सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी गई है कि उनके प्लेटफॉर्म्स ऐसे भ्रामक और अनुचित व्यापार व्यवहार में शामिल न हों जो डार्क पैटर्न की प्रकृति के हैं। इसके अलावा, सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को सलाह दी गई है कि वे एडवाइजरी जारी होने के तीन महीने के भीतर डार्क पैटर्न की पहचान करने के लिए स्व-ऑडिट करें और यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं कि उनके प्लेटफॉर्म्स ऐसे डार्क पैटर्न से मुक्त हों। स्व-ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को स्व-घोषणा भी देनी चाहिए कि उनका प्लेटफॉर्म किसी भी डार्क पैटर्न में लिप्त नहीं है

5 जून, 2025 के कार्यालय ज्ञापन के तहत, मंत्रालयों, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों और स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधियों वाला एक संयुक्त कार्य समूह गठित किया गया है। यह कार्य समूह डार्क पैटर्न की पहचान करेगा और हितधारकों के साथ मिलकर पारदर्शी, नैतिक और उपयोगकर्ता-केन्‍द्रित ऑनलाइन वातावरण बनाने के लिए मिलकर काम करेगा।

यह जानकारी केन्‍द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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