रायपुर। जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड एवं सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) की स्थापना की गई है, जो अनवरत रूप से कार्य कर रहा है नियमानुसार प्रतिदिन शिकायत के आधार पर डाॅग केचिंग की कार्यवाही की जाती है जिसमें प्रतिदिन आवारा कुत्तों को पकड़कर, एनिमल बर्थ सेंटर में लाया जाता है । नर एवं मादा कुत्तों की सर्जरी द्वारा नसबंदी की प्रक्रिया की जाती है। नसबंदी पश्चात् आवारा कुत्तों को 02 दिन रखा जाता है एवं स्वस्थ होने पर नियमानुसार उसी स्थान पर छोड दिया जाता है जहाँ से उसे पकड़ा गया था। कुत्तों को नसबंदी के अलावा एंटी रेबीज टीकाकरण किया जाता है, जिससे वे रेबिज मुक्त रहे पिछले वर्ष कुल कुत्तों का बधियाकरण माह जनवरी 2024 से दिसम्बर 2024 तक 5035 सर्जरी के माध्यम से किया गया है। वर्तमान में बधियाकरण के पश्चात् पहचान के लिए वी आकार में दाहिना कान को काटा जाता है।
पशु जन्म नियंत्रण एवं भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के नियमों के तहत् स्थानीय निकायों को पशु नियंत्रण कार्यक्रम चलाना होता है जिसमें नगर निगमों को एबीसी कार्यक्रम और एंटी रेबीज कार्यक्रम को मिलकर लागू करना होता है। इन नियमों (पशु जन्म नियंत्रण) के तहत कुत्तों की धरपकड़ कर नसबंदी, एंटी रेबीज टीकाकरण पश्चात् अन्य स्थानों पर स्थानांतरित (रिलोकेटर) नहीं किया जा सकता। पशु जन्म नियंत्रण के तहत् निकायों द्वारा पशु आश्रय या पशु रुग्णालय की स्थापना एवं व्यवस्था की जा सकती है इसी तर्ज पर रायपुर नगर निगम द्वारा भी पशु आश्रय की संपूर्ण व्यवस्था सोनडोगरी में की जा रही है जिसका संचालन भी अतिशीघ्र किया जावेगा जिसमें रायपुर नगर निगम क्षेत्र के घायल, बीमार एवं आक्रमक कुत्तों को वहाँ रखा जावेगा। जिससे डाॅग बाइट की संख्या में कमी आने की संभावना है तथा कुत्तों की आबादी कम होती जावेगी जिससे मानव एवं कुत्तों के बीच संघर्ष एवं समस्या में कमी आयेगी।