
रायपुर। वृंदा चेस्ट एलर्जी सेंटर में छत्तीसगढ़ का पहला सीआरडी मशीन स्थापित किया गया है। इस मशीन के जरि एलर्जी का पता चल सकेगा और उन बीमारियों का jad Sr इलाज भी संभव होगा।
दरअसल, नाक, फेफड़े और त्वचा की एलर्जी का अक्सर पता लगाना संभव नहीं हो पाता हैं, लेकिन सीआरडी मशीन से इसका निदान भी संभव हो पाया है। साथ ही एलर्जी immunotherapy से 100 प्रतिशत इलाज संभव हैं कि नहीं, वह भी पता चल सकेगा। सामान्यतः कई बार बच्चों में विभिन्न प्रकार के चीजें जैसे अंडा, बादाम, चावल, दूध, गेहूं, सेव खाने से समस्या आ जाती है एलर्जी हो जाती है इस वजह से माता-पिता भी बच्चे को लेकर चिंतित रहते हैं, लेकिन सीआरडी मशीन से पता चलेगा कि बच्चे इन चीजों को ग्रहण कर सकते हैं या नहीं। इस टेस्ट की जारी डॉक्टर आपको बता सकता है कि कौन सी चीज खानी है नहीं खानी है या कैसे खानी है उदाहरण के लिए यदि अगर अंडा नहीं खा पा रहा है तो इस टेस्ट के जरिए पता चल सकता है कि उसे प्रोटीन से एलर्जी है तो अंडा उबाल कर खाने से एलर्जी नहीं होगी या सेब के छिलके के प्रोटीन से एलर्जी है तो छिलका हटाकर खाया जा सकता है ।
इस पद्धति एलर्जी के इलाज में आधुनिक प्रोटीन टेस्ट की परिणाम के आधार पर उपचार की योजना बना सकते हैं ।
इस टेस्ट के बारे में अधिक जानकारी देते हुए डॉ केदारनाथ देवांगन ने सीआरडी एलर्जी परीक्षण के लाभ बताते हुए कहा की.
यह परिणाम इलाज की सटीकता को बढ़ाता है ।
यह सटीक एलर्जी और क्रॉस-रिएक्शन के बीच अंतर करने में मदद करता है व सटीकता को बढाता है ये उस कारण ( प्रोटीन) का पता लगाता है जिससे शरीर में एलर्जी हो रही है और उसको दूर करने में मदद करती है।
गंभीर प्रतिक्रियाओं के लिए जोखिम स्तरीकरण
यह गंभीर / रियेक्सन के खतरे को कम करने मे या स्थिर करने में मदद करता है |
गंभीर एलर्जी के लिए बायोमार्कर हैं सीआरडी। इसका परिणाम एलर्जी के जोखिम के भविष्य में होने वाले प्रभाव को पहचानने में मदद करती है जिससे मरीज उचित परहेज करके दुष्परिणाम से बचा रह सकता है ।
व्यक्तिगत एलर्जी प्रबंधन
इस परीक्षण से व्यक्तिगत एलर्जी प्रबंधन में मदद मिलती है उदाहरण के लिए यदि अंडे में
ओवोम्यूकॉइड (गैल डी 1) से एलर्जी वाले बच्चे है तो जीवन भर परहेज की आवश्यकता हो सकती है, जबकि ओवलब्यूमिन (गैल डी 2) के प्रति संवेदनशील बच्चे को पके हुए अंडे को खा सकते हैं।
क्रॉस-रिएक्टिविटी का स्पष्टीकरण
सीआरडी प्राथमिक एलर्जी (जैसे, झींगा ट्रोपोमायोसिन) को पराग से संबंधित क्रॉस-रिएक्शन (जैसे, फलों के लिए ओरल एलर्जी सिंड्रोम) से अलग करता है, आहार संबंधी सलाह में सहायता करता है और अनुचित प्रतिबंधों को कम करता है।
बेहतर डायग्नोस्टिक सटीक
पारंपरिक परीक्षणों में आम तौर पर सटीकता कम होती है
इस परीक्षण से बेहतर डायग्नोस्टिक रिजल्ट आते है यह चिकित्सीय रूप से एलर्जी के मुख्य कारण को ढूँडता है ।
एलर्जी विकास की निगरानी
समय के साथ संवेदनशीलता में परिवर्तन को ट्रैक करता है, विशेष रूप से बच्चों में उपयोगी है इससे यह पता चल जाता है की भविष्य में बच्चों को इस एलर्जी से परेशानी तो नहीं होगी ।
इम्यूनोथेरेपी विकास
यह एलर्जी के कारण से संबंधित घटक को पहचान कर उसका टीका बनाने में मदद करती है , जिससे उपचार की प्रभावशीलता बढ़ती है।
यह खाने की एलर्जी मे निर्णय लेने मे मदद करता है जैसे कोई खाद्य पदार्थ कच्चा खाना है या पका हुआ या किसी तरह का छोटा मोटा परिवर्तन करके ।