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बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों को फिर जाना होगा जेल, सुप्रीम कोर्ट का फैसला…
अब दोषियों को दो हफ्ते के भीतर सरेंडर करना होगा

गुजरात: गुजरात के बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों को फिर जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार के जल्द रिहाई के फैसले को पलट दिया है। SC की डबल बेंच ने गुजरात सरकार को जमकर फटकार लगाई और कहा, वह (गुजरात सरकार) इस तरह का निर्णय लेने के लिए ‘सक्षम नहीं‘ थी। अब दोषियों को दो हफ्ते के भीतर सरेंडर करना होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस कदम को एक ‘फ्रॉड एक्ट‘ करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरथाना और उज्जल भुइयां की बेंच ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा, 11 दोषियों की जल्द रिहाई को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका वैध है।
देखिये सुप्रीम कोर्ट ने और क्या क्या कहा है…
- जस्टिस नागरथाना ने कहा– इस अदालत में धोखाधड़ी का खेल खेला गया है. इस अदालत की ओर से गुजरात सरकार को छूट परविचार करने का कोई निर्देश नहीं दिया गया था। यह एक धोखाधड़ी का कार्य है। हम मानते हैं कि इस अदालत के समक्ष फैक्ट को छिपाया गया है। इस तरह हम मानते हैं कि इस अदालत का 13 मई 2022 का आदेश सही नहीं था।
- कोर्ट का कहना था कि आपने (गुजरात सरकार) सुप्रीम कोर्ट के साथ फ्रॉड किया है। इससे पहले हाईकोर्ट और लोअर कोर्ट ने दोषियों की रिहाई के खिलाफ टिप्पणियां की थीं। ये सारे फैक्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने छिपाए गए हैं।
- यह पूरा मामला गुजरात सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं था। बिलकिस बानो की मांग पर ये पूरा केस मुंबई ट्रांसफर कर दिया था। ऐसे में अगर कोई फैसला लेना था तो उस पर महाराष्ट्र सरकार को अधिकार था। यानी सजा में छूट देने का अधिकार महाराष्ट्र की सरकार के पास था। हालांकि, इस केस में इतने पेंच हैं, उसे देखते हुए महाराष्ट्र सरकार के लिए भी फैसला लेना आसान नहीं है।
- सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों की जल्द रिहाई का फैसला रद्द कर दिया। महाराष्ट्र और गुजरात की अदालतों और प्रशासनिक स्तर पर भी इस सजा माफी मामले में निगेटिव ओपिनियन आया है। दो हाईकोर्ट ने भी नेगेटिव ओपिनियन दिया था। गुजरात सरकार केआदेश को रद्द किया जाता है।
- हर महिला सम्मान की हकदार है। चाहे वो समाज में कितनी भी ऊंची या नीची क्यों ना हो। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि दोषी कीतरफ से भौतिक तथ्यों को दबाकर और भ्रामक तथ्य बनाकर सजा माफी पर विचार करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।