उत्तराखंड

UCC कानून लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड, जाने क्या है उद्देश्य

उत्तराखंड ने भारत में एकीकृत नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला पहला राज्य बनकर इतिहास रच दिया है। UCC के तहत, सभी नागरिकों के लिए एक समान कानूनी प्रक्रिया और नियम लागू होंगे, चाहे उनका धर्म या समुदाय कोई भी हो।(Uniform civil code law) उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी बिल पास होने के बाद उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. बीजेपी के सभी विधायकों ने ध्वनि मत से UCC का विधेयक पारित किया, 80 प्रतिशत सहमति के साथ यह प्रस्ताव स्वीकृत किया गया. सभी सदस्यों ने फिर सदन में जय श्रीराम के जयकारे लगाए.

 

UCC का उद्देश्य विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और अधिकार संबंधी मामलों में विभिन्न धार्मिक कानूनों के स्थान पर एक समान कानूनी ढांचा प्रदान करना है। नए कानून में विवाह और लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। यह कानून राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के सभी नागरिकों पर भी लागू होगा। हालांकि अनुसूचित जनजाति के लोगों और समूहों पर यह कानून लागू नहीं होगा। पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर का हक मिलेगा।(Uniform civil code law)नोटिस के एक माह बाद तक विवाह और लिव-इन रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन नहीं करने पर 25 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा।इस बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि शादी को एक साल से अधिक का समय होने के बाद आपसी सहमति से भी तलाक हो सकेगा। इस नियम का उल्लंघन करने पर 50 हजार का जुर्माना और 6 माह की सजा हो सकती है। नए बिल में हलाला जैसे मामलों में 3 वर्ष की सजा और 1 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

 

इस निर्णय का स्वागत करते हुए, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि UCC का क्रियान्वयन राज्य में समाजिक समरसता और एकता की दिशा में एक कदम है। उन्होंने आगे कहा कि इस कानून से सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समान अधिकार मिलेंगे।

 

हालांकि, इस कदम का कुछ समुदायों और धार्मिक संगठनों द्वारा विरोध भी किया जा रहा है, जो इसे अपनी धार्मिक परंपराओं और प्रथाओं पर हमला मानते हैं। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने भी इसे लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं, और इस पर व्यापक जनमत संग्रह और चर्चा की मांग की है।

 

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