धर्म

आज अक्षय तृतीया : छत्तीसगढ़ की खास परंपरा अक्ती तिहार

आज पूरे देश में अक्षय तृतीया का पावन पर्व मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है। मान्यता है कि यह दिन स्वयंसिद्ध और अत्यंत शुभ होता है। विवाह, खरीदारी या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए यह तिथि सर्वोत्तम मानी जाती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग और त्रेता युग की शुरुआत भी अक्षय तृतीया के दिन ही हुई थी। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना विशेष रूप से की जाती है। माना जाता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किया जाता है, उसका फल कभी समाप्त नहीं होता – यानी वह ‘अक्षय’ होता है।

छत्तीसगढ़ की खास परंपरा ”अक्ती तिहार”
छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया को ‘अक्ती तिहार’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन एक बेहद खास और अनूठी परंपरा निभाई जाती है – गुड्डा-गुड़िया की शादी। जिन परिवारों में विवाह योग्य युवक-युवती नहीं होते, वहां घर के छोटे बच्चे मिट्टी के बने गुड्डा-गुड़िया की शादी करवाते हैं।

यह विवाह पूरी छत्तीसगढ़ी रीति-रिवाजों के साथ होता है – हल्दी, तेल लगाना, मुकुट पहनाना, फेरे कराना और विदाई जैसी सारी रस्में निभाई जाती हैं। इस आयोजन में घर के बड़े-बुजुर्ग भी शामिल होते हैं और बच्चों को सांस्कृतिक मूल्यों से अवगत कराते हैं।
अक्ती तिहार के दिन किसान अपने खेतों में नए बीज डालते हैं और बड़े-बुजुर्ग पितरों के लिए नदी-तालाबों में तर्पण करते हैं।

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