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‘एक था टाइगर’ का जलवा: इंटरनेशनल स्पाई म्यूज़ियम में जगह पाने वाली इकलौती भारतीय फिल्म

मुंबई । सलमान खान स्टारर ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘एक था टाइगर’ ने एक नया इतिहास रच दिया है। अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी स्थित इंटरनेशनल स्पाई म्यूज़ियम ने इस फिल्म को अपनी खास वॉल ऑफ फेम में शामिल किया है। इसके साथ ही यह जगह बनाने वाली भारत की इकलौती फिल्म बन गई है।

भारत के सबसे बड़े सुपरस्टार सलमान खान की फैन फॉलोइंग सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैली हुई है। कहना होगा कि सलमान पूरी दुनिया में एक बेहद लॉयल फैन फॉलोइंग एंजॉय करते हैं। अपने अब तक के शानदार करियर में सलमान खान एक से बढ़कर एक फिल्में दे चुके हैं। वहीं उनकी ब्लॉकबस्टर स्पाई ड्रामा ‘एक था टाइगर’ एक ऐसी सुपरहिट फिल्म है, जिसने न सिर्फ़ भारत को उसका सबसे पसंदीदा ऑन-स्क्रीन जासूस दिया है, बल्कि इस किरदार के साथ सुपरस्टार ने लाखों दिलों पर राज भी किया है।

इंटरनेशनल लेवल पर सम्मान
अमेरिका के वाशिंगटन, डी.सी. में इंटरनेशनल स्पाई म्यूजियम में, मशहूर स्पाई फिल्म्स और सीरीज को दिखाने वाला एक खास सेक्शन है, जिसमें लगभग 25 मशहूर इंटरनेशनल फिल्में शामिल हैं। इन ग्लोबल फिल्मों में अब सलमान खान की ‘एक था टाइगर’ भी शामिल है, जो इस खास ‘वॉल ऑफ फेम’ में जगह बनाने वाली इकलौती हिंदी फिल्म है। दुनिया भर में बनी सैकड़ों स्पाई फिल्म्स को देखते हुए, यह सच में एक खास और बड़ा सम्मान है।

कबीर खान की प्रतिक्रिया
डायरेक्टर कबीर खान जिन्होंने ‘एक था टाइगर’ को डायरेक्ट किया है, वो इस सम्मान के बारे में बात करते हुए कहते हैं, “मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं था और मुझे इसके बारे में उन लोगों से पता चला जिन्होंने इसे वहाँ देखा था। उन्होंने मुझे ये लिखते हुए मैसेज किया कि, ‘हमने ‘एक था टाइगर’ का पोस्टर देखा और यह सभी फिल्मों की दुनिया में इकलौती हिंदी फिल्म है।’ मुझे बहुत खुशी हुई और सलमान और कैटरीना के चेहरों को उस दीवार पर देखकर बहुत अच्छा लगा!”

क्यों खास है ‘एक था टाइगर’?
उन्होंने आगे कहा, “कुछ फिल्में वक्त बीतने के साथ अपनी एक अलग दुनिया बना लेती हैं। एक था टाइगर ऐसी ही फिल्म है जिसकी पॉपुलरिटी सालों में और बढ़ी, खासकर क्योंकि यह बाद में यशराज के स्पाईवर्स का हिस्सा बन गई। इस यूनिवर्स की पहली फिल्म होने से इसे एक अलग ही मुकाम मिलता है। आज तक मुझे इस फिल्म को लेकर ढेरों मैसेज आते हैं और लोग उस वक्त जो हमने किया, उसकी सराहना करते हैं। तब हम एक्शन के लिए VFX पर इतने निर्भर नहीं थे। मुझे लगता है एक फिल्ममेकर और एक दर्शक होने के नाते, रॉ, रियल और ग्रिटी एक्शन का असर अलग ही होता है। VFX पर ज़्यादा निर्भरता लोगों से कनेक्ट नहीं हो पाती है।”

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