रायपुर: सुधांशु झा की कहानी साहस और दृढ़ता का एक अद्वितीय उदाहरण है। सुधांशु, जो बोलने और लिखने में असमर्थ हैं, ने अपार चुनौतियों को पार करते हुए आईआईटी जेईई एडवांस्ड परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक AIR-25 (PWD) हासिल की। यह उनकी अटूट भावना और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।
Unacademy रायपुर के सेंटर हेड सरसिज पाण्डेय ने बताया की सुधांशु का सफर सामान्य नहीं रहा है। जन्म से ही वे शारीरिक अक्षमता के साथ बड़े हुए, जिसने उनके संप्रेषण और लेखन की क्षमता को बाधित किया। लेकिन उनकी अडिग भावना और अपने सपनों को पूरा करने की प्रबल इच्छा ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
अपने परिवार के सहयोग और अनअकैडमी रायपुर के समर्पित शिक्षकों के मार्गदर्शन में, सुधांशु ने देश की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में से एक की तैयारी शुरू की। उनके माता-पिता, जो उनकी स्थायी शक्ति के स्तंभ रहे हैं, ने उनके सीखने के लिए अनुकूल माहौल प्रदान किया और यह सुनिश्चित किया कि उन्हें आवश्यक संसाधन प्राप्त हों।
Unacademy रायपुर के academic हेड धीरेन्द्र अवस्थी ने बताया की अनअकैडमी में, शिक्षकों ने सुधांशु की क्षमता को पहचाना और उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार अपनी शिक्षण पद्धतियों को अनुकूलित किया। उन्होंने संकेतों, दृश्य सामग्री और नवीन तकनीकों के माध्यम से उनसे संवाद किया, जिससे सुनिश्चित हुआ कि सुधांशु को पूरी शिक्षा मिल सके।
सुधांशु की सफलता उनकी अथक मेहनत और उनके शिक्षकों की निष्ठा का परिणाम है। उनकी कहानी न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। यह साबित करता है कि यदि मन में सच्ची लगन और समर्पण हो, तो कोई भी बाधा असंभव नहीं है। सुधांशु की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार को गर्व महसूस कराया है, बल्कि उन्होंने पूरे समाज को यह संदेश दिया है कि शारीरिक अक्षमताएं कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकतीं।
सुधांशु की यह प्रेरणादायक यात्रा हमें यह सिखाती है कि किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। उनके अद्वितीय संघर्ष और सफलता की यह कहानी हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी।