पेसा ग्राम सभाओं में 2 अक्टूबर से प्रारंभ होगा “सबकी योजना – सबका विकास” अभियान
भोपाल। देश की सभी पेसा ग्राम पंचायतों में आगामी 2 अक्टूबर से “सबकी योजना-सबका विकास” अभियान प्रारंभ किया जायेगा। इस अभियान में पेसा ग्राम पंचायतों को विकास के लिये अपनी जरूरतों के मुताबिक योजना बनाने के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा। पेसा अधिनियम की महत्ता को देखते हुए केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय एक उत्कृष्टता केन्द्र (एक्सीलेंस सेंटर) स्थापित करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। यह सेंटर संभवत: किसी केन्द्रीय जनजातीय विश्विविद्यालय (सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी) में स्थापित किया जायेगा। नई दिल्ली के डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में गत 26 सितम्बर को पेसा एक्ट पर हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में यह जानकारी दी गई।
सम्मेलन मे केंद्रीय पंचायती राज राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा की सफलता के लिए शासन में महिलाओं का सशक्तिकरण और सक्रिय भागीदारी सर्वोपरि है। आदिवासी समुदायों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त धन, बुनियादी ढांचा और बेहतर जीवन स्तर, स्वास्थ्य और शिक्षा तक पहुंच बेहद जरूरी है। हम सबके लिए उज्ज्वल और अधिक समावेशी भविष्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सम्मेलन में केन्द्रीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जनजातीय समुदायों के उत्थान और इन्हें विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। श्री उइके ने उम्मीद जताई कि पेसा ग्राम सभाओं के पदाधिकारियों के लिए पंचायती राज मंत्रालय के क्षमता निर्माण प्रयासों से वे अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों से परिचित हो सकेंगे।
सम्मेलन में मध्यप्रदेश के पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने प्रदेश में पेसा एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन एवं प्रगति, पहलों और नवाचारों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अन्य संबंधित अधिनियमों, वित्तीय प्रावधानों, प्रशिक्षण गतिविधियों और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करते हुए आर्थिक आत्मनिर्भरता के प्रयासों पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के 20 जिलों के 88 विकासखंडों की 5 हजार 133 ग्राम पंचायतों के अधीन 11 हजार 596 ग्राम पेसा क्षेत्र में आते हैं। अलीराजपुर, झाबुआ, मंडला, बड़वानी, अनूपपुर एवं डिंडोरी पूर्ण पेसा जिलों में रूप में चिन्हित हैं। जबकि बालाघाट, बैतूल, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, धार, खंडवा, नर्मदापुरम, खरगोन, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, सीधी उमरिया एवं रतलाम आंशिक पेसा जिले हैं। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में ग्राम स्तर, पंचायत स्तर, विकासखंड, जिला एवं राज्य स्तरीय प्रशिक्षण के जरिये पेसा एक्ट के क्रियान्वयन में प्रगति आई है।
सम्मेलन में पीएम जनमन और प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान पर भी चर्चा की गई, जिसका उद्देश्य पीएम जनमन की सीख के आधार पर जनजातीय क्षेत्रों का सतत और समग्र विकास सुनिश्चित कर यहां सामाजिक बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका का विकास करना है। केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज और मध्यप्रदेश के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री मलय श्रीवास्तव ने भी उद्घाटन सत्र में अपने विचार रखे।
केन्द्रीय सचिव श्री भारद्वाज ने कहा कि पेसा की मूल भावना आदिवासी समुदायों को उनकी पारंपरिक संस्कृति और हितों को संरक्षित करते हुए विकास की मुख्यधारा में लाना है। अधिकांश पेसा राज्यों ने अब पेसा नियम तैयार कर लिए हैं। श्री भारद्वाज ने कहा कि राज्यों के सहयोग से सात उन्मुखीकरण प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किए गए हैं, और मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण भी शुरू हो गया है। श्री भारद्वाज ने सभी पेसा ग्राम सभाओं से 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले “सबकी योजना, सबका विकास” अभियान में उत्साहपूर्वक भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि पंचायती राज मंत्रालय पेसा पर एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है, जिसे संभवत: देश के किसी केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में स्थापित किया जा सकता है।