छत्तीसगढ़

गणतंत्र दिवस: बस्तर की बेटियां हुई दिल्ली रवाना, राजपथ पर दिखेगी छत्तीसगढ़ की बस्तरिया परंपरा की झलक…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने झांकी की अगुवाई करने वाली बेटियों को अपनी शुभकामनाएं दी

रायपुर: इस साल गणतंत्र दिवस पर छत्तीसगढ़ की बस्तरिया परंपरा की झलक दिखेगी। बस्तर की मुरिया दरबार की झांकी 26 जनवरी को राजपथ में प्रस्त्तुत की जायेगी। झांकी में भाग लेने के लिए बस्तर की बेटियां आज दिल्ली रवाना हुई। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने झांकी की अगुवाई करने वाली बेटियों को अपनी शुभकामनाएं दी। और उन्होंने बच्चियों से परिचय पूछते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

इससे पहले जनसंपर्क आयुक्त मयंक श्रीवास्तव ने गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शित होने वाली छत्तीसगढ़ की पारंपरिक झांकी की विशेषता और चयन प्रक्रिया के सबंध में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को जानकारी दी। जो बच्चियां दिल्ली रवाना हो रही है, वो सभी पारंपरिक वेशभूषा में मुरिया जनजाति का नृत्य “परब”करते हुए झांकी के आगे-आगे चलेंगी।

मुख्यमंत्री ने दिल्ली रवाना हो रही बच्चियों को संबोधित करते हुए कहा कि ये गौरव की बात है कि छत्तीसगढ़ की परंपरा का नेतृत्व करने का आप सभी को मौका मिला है। छत्तीसगढ़ की उच्च विरासत और परंपरा को पूरे देश के सामने प्रदर्शित कर आप प्रदेश का मान-सम्मान बढ़ाईये, यही कामना है।

बस्तर की आदिम जनसंसद “मुरिया दरबार” –

देश के 28 राज्यों के बीच कड़ी प्रतियोगिता के बाद छत्तीसगढ़ की झांकी “बस्तर की आदिम जनसंसद- मुरिया दरबार” का चयन हुआ है। छत्तीसगढ़ की झांकी भारत सरकार की थीम ‘भारत लोकतंत्र की जननी’ पर आधारित है। यह झांकी जनजातीय समाज में आदि-काल से उपस्थित लोकतांत्रिक चेतना और परंपराओं को दर्शाती है, जो आजादी के 75 साल बाद भी राज्य के बस्तर संभाग में जीवंत और प्रचलित है।

इस झांकी में केंद्रीय विषय “आदिम जन-संसद” के अंतर्गत जगदलपुर के मुरिया दरबार और उसके उद्गम-सूत्र लिमऊ-राजा को दर्शाया गया है। मुरिया दरबार विश्व-प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की एक परंपरा है, जो 600 सालों से चली आ रही है। इस परंपरा के उद्गम के सूत्र कोंडागांव जिले के बड़े-डोंगर के लिमऊ-राजा नामक स्थान पर मिलते हैं। इस स्थान से जुड़ी लोककथा के अनुसार आदिम-काल में जब कोई राजा नहीं था, तब आदिम-समाज एक नीबू को राजा का प्रतीक मानकर आपस में ही निर्णय ले लिया करता था।

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