
रायपुर: 10/12/2023 को श्री जगमोहन वर्मा जी को एसएमसी हार्ट सेंटर में सीने में 4 दिन से दर्द की शिकायत के लिए लाया गया था। ई सी जी में उनको बड़ा हृदयघात पाया गया, उनका रक्तचाप कम था और शॉक वाली स्थिति थी, उनका इकोकार्डिओग्राफी किया गया। जिसमे पाया गया की उनका हृदय कमजोर हो गया है, और उनके ह्रदय के चारो तरफ खून इकठ्ठा हो गया था, इससे ये पता चला की हृदय फट गया है (कार्डियक रप्चर)। जिसकी वजह से हृदय के अंदर का खून बाहर निकलकर हृदय की झिल्ली में इकठ्ठा हो गया है, इसे कार्डियक टेम्पोनेड कहते है जिसकी वजह से रक्तचाप एकदम कम हो जाता है। इस तरह का कम रक्तचाप कोई भी दवाई देने से नहीं बढ़ता नहीं, ऐसे मरीज की हालत एकदम नाजुक रहती है, और इनके बचने की सम्भावना बहुत कम रहती है। ऐसे मरीज की तुरंत सर्जरी की जाए तभी इस तरह के मरीज बच सकते है, हृदयघात के दौरान हृदय का फटना बहुत कम प्रकरण में पाया जाता है। इसकी शल्यक्रिया बहुत जटिल रहती है, एवं अनुभव वाले शल्यचिकित्सक ही कर सकते है। मरीज का आपातकाल में शल्यक्रिया किया गया, डॉ अजय चौरसिया जो हमारे हृदय शल्य चिकित्सक है, उनके द्वारा की गयी, साथ में डॉ तुषार मालेवार वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सतीश सूयवंशी, डॉ एस एस मोहंती, डॉ भरत अग्रवाल एवं डॉ अक्षत जैन थे।
इस तरह की गंभीर सर्जरी जहाँ पर हृदय फट जाता है, शल्यक्रिया करने के बाद भी ऐसे जटिल मरीज के बचने की सम्भावना बहुत कम रहती है।
100 में से केवल 10 मरीज ही बच पाते है, शल्यक्रिया के बाद मरीज को गहन चिकित्सा कक्ष में 4 दिन तक रखा गया उसके बाद उन्हें वेंटीलेटर से निकाला गया, मरीज को 10 दिन के बाद हॉस्पिटल से छुट्टी दी गयी मरीज अब पूर्ण स्वस्थ है, एवं पुनः स्वास्थ्य परिक्षण के लिए दिखाने आते है।