
जयपुर। सूरज भले ही हर दिन पूरब से उदित होता हो लेकिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सौर ऊर्जा का सूर्य निश्चित तौर पर देश के पश्चिमी राज्य राजस्थान में चमक रहा है। सूर्य भगवान की विशेष कृपा से प्रदेश की सुनहरी रेतीली धरती में सौर ऊर्जा उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, जिनके दोहन के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पहले दिन से ही निरंतर प्रयासरत हैं।
राजस्थान को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य की दिशा में पीएम-कुसुम योजना के माध्यम से एक बड़ी कामयाबी मिली है तथा राजस्थान ऐसा अग्रणी राज्य बन गया है जहां इस योजना के कम्पोनेंट-ए एवं कम्पोनेंट-सी के अन्तर्गत सौर ऊर्जा उत्पादन 1 हजार मेगावाट से अधिक हो गया है।
सौर ऊर्जा का उपयोग कर किसानों को दिन में बिजली आपूर्ति की दिशा में भी राजस्थान तेजी से आगे बढ़ रहा है जिससे आज प्रदेश में 1 लाख 70 हजार से अधिक किसानों को दिन में बिजली सुलभ होने लगी है।
पीएम कुसुम योजना के कम्पोनेंट-ए एवं कम्पोनेंट-सी के तहत ही 560 ग्रिड कनेक्टेड विकेन्द्रित सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर 70 हजार से अधिक कृषि उपभोक्ताओं को दिन में बिजली दी जा रही है। वहीं इस योजना के कम्पोनेंट-बी में लगभग 1 लाख किसानों के कृषि पम्पों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जा चुका है।राज्य द्वारा योजना के सफल क्रियान्वयन को देखते हुए भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान कुसुम-ए में दो बार में कुल 6 हजार मेगावाट क्षमता के संयंत्रों के अतिरिक्त आवंटन को स्वीकृति दी है तथा कम्पोनेंट-सी में 2 लाख सोलर पम्पों का अतिरिक्त आवंटन किया है। इस प्रकार इस योजना में प्रदेश में लगभग 12 हजार मेगावाट क्षमता के प्लांट स्थापित किए जाने का लक्ष्य रख कार्य किया जा रहा है।
हर दिन ग्रिड से जुड़ रहा : एक नया सौर ऊर्जा संयंत्र
पूर्ववर्ती सरकार के अंतिम तीन सालों में जहां केवल 92 प्लांट ही स्थापित किए जा सके थे। वहीं आज प्रदेश में कम्पोनेंट-सी में लगभग हर दिन औसतन एक नया सौर ऊर्जा संयंत्र ग्रिड से जुड़ रहा है। बीते 6 माह में प्लांटों के क्रियाशील होने की गति में और तेजी आई है। इस अवधि में कम्पोनेंट-ए में 183 मेगावाट क्षमता के 134 तथा कम्पोनेंट-सी में 514 मेगावाट क्षमता के 196 प्लांट स्थापित हुए हैं। यह प्रगति इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि जबसे यह योजना प्रारंभ हुई उसके बाद से ऊर्जा उत्पादन में प्रतिदिन औसतन चार से पांच मेगावाट क्षमता की अतिरिक्त बढ़ोतरी हो रही है।
अन्नदाता के साथ ऊर्जादाता भी बन रहे किसान
योजना के तहत यह प्लांट मुख्यतः राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हो रहे हैं जहां कृषि कनेक्शन अधिक संख्या में हैं। खेत के समीप भूमि पर लग रहे अधिकतम 5 मेगावाट क्षमता तक के इन सौर ऊर्जा संयंत्रों से किसानों को खेती से जुड़े कार्यों के लिए दिन में बिजली सुलभ होने लगी है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता के एक नए युग की शुरूआत हुई है। अपनी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर किसान अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी बन रहे हैं जिससे उन्हें आमदनी का एक अतिरिक्त जरिया भी मिला है।
योजना में फीडर लेवल सोलराइजेशन के अन्तर्गत 33/11 केवी ग्रिड सब स्टेशन के लगभग 5 किलोमीटर के दायरे में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाने का प्रावधान है। कंपोनेंट-ए में अधिकतम 2 मेगावाट क्षमता तक तथा कंपोनेंट-सी में अधिकतम 5 मेगावाट क्षमता तक के ग्रिड कनेक्टेड सोलर प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। कंपोनेंट-सी में सौर संयंत्र की स्थापना पर भारत सरकार लागत का अधिकतम 30 प्रतिशत (अधिकतम 1 करोड़ 5 लाख रूपए प्रति मेगावाट) तक अनुदान देती है।
साकार हो रहा किसानों को दिन में बिजली का संकल्प
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने वर्ष-2027 तक किसानों को कृषि कार्य के लिए दिन में बिजली उपलब्ध कराने का संकल्प व्यक्त किया है। इस संकल्प को साकार करने की दिशा में यह योजना महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार द्वारा इसे फ्लैगशिप योजना के रूप में भी सम्मिलित किया गया है। डिस्कॉम्स द्वारा मानक संचालन प्रक्रिया तैयार कर सौर संयंत्रों की स्थापना में आने वाली बाधाओं को दूर किया गया। अवॉर्ड जारी होने के बाद पावर परचेज एग्रीमेंट को अंतिम रूप देने, सौर संयंत्र को 11 केवी एवं 33 केवी प्रसारण लाइनों के माध्यम से ग्रिड से जोड़ने, ट्रªसफार्मर तथा मीटर से संबंधित स्वीकृतियों के कार्यों, सोलर प्लांट्स के निरीक्षण तथा साइट विजिट्स को विद्युत वितरण निगमों द्वारा निर्धारित समयावधि में पूर्ण किया जा रहा है। साथ ही जिला कलक्टरों को विद्युत लाइन बिछाने की राह में आ रही बाधाओं को दूर करने के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
छीजत में कमी, कार्बन फुटप्रिंट भी घट रहा
योजना के फलीभूत होने का फायदा विद्युत वितरण निगमों को हुआ है जिन्हें लगभग 3 रूपए प्रति यूनिट की सस्ती बिजली मिल रही है। स्थानीय स्तर पर उत्पादित बिजली का उपयोग स्थानीय स्तर पर ही होने से प्रसारण में होने वाली छीजत भी कम हुई है। साथ ही, कृषि की बढ़ती मांग की आपूर्ति के लिए विद्युत निगमों को अतिरिक्त विद्युत तंत्र विकसित करने की आवश्यकता में भी कमी आई है। डिस्कॉम्स को अब कृषि कार्य के लिए एक्सचेंज से महंगे दाम पर बिजली खरीदने की आवश्यकता नहीं होती। सबसे बड़ी बात यह है कि लगभग 1 हजार मेगावाट बिजली अतिरिक्त उत्पादन क्षमता विकसित करने में राज्य सरकार के बजट पर कोई अलग से भार नहीं आया है एवं साथ ही, कार्बन फुटप्रिंट में भी कमी आ रही है।
सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र की स्थापना में भी राजस्थान प्रथम तीन राज्यों में शामिल
योजना के कम्पोनेंट-बी का क्रियान्वयन उद्यानिकी विभाग के माध्यम से किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत वर्तमान राज्य सरकार द्वारा 39 हजार से अधिक सौर ऊर्जा पम्प संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है एवं इस दृष्टि से राजस्थान देश में प्रथम तीन राज्यों में है। कम्पोनेंट-बी में किसानों को 3 से 7.5 हॉर्स पावर क्षमता के सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र स्थापित करने पर 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।