
जम्मू-कश्मीर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में 272 किलोमीटर लंबे उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक के सबसे अहम हिस्से, चिनाब रेलवे ब्रिज का उद्घाटन किया। यह ब्रिज 1315 मीटर लंबा है और इसे भारत का सबसे ऊंचा रेलवे पुल माना जा रहा है। इस आर्क ब्रिज को तैयार करने में 22 साल लगे, और अब यह कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से सीधा जोड़ने वाला रेल लिंक बन गया है।
क्यों खास है चिनाब रेलवे ब्रिज?
यह पुल जम्मू के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बना है, जो गहरी खाई और दुर्गम पहाड़ियों के बीच बहती है। सामान्य पुलों की तुलना में यहां सस्पेंशन या केबल तकनीक नहीं, बल्कि स्टील आर्क ब्रिज डिजाइन का इस्तेमाल हुआ। कनाडा की कंपनी WSP द्वारा डिजाइन किए गए इस पुल को 17 स्टील खंभों और एक 469 मीटर लंबे आर्क के सहारे बनाया गया है। ब्रिज की ऊंचाई धरातल से लगभग 359 मीटर है, यानी यह एफिल टावर से भी ऊंचा है।
एक सपने की शुरुआत: कश्मीर तक पहली सीधी रेल कनेक्टिविटी
अब तक कश्मीर घाटी में कोई सीधा रेल लिंक नहीं था। जम्मू तक ही ट्रेनों की सुविधा थी, और श्रीनगर पहुंचने के लिए यात्रियों को सड़क या हवाई मार्ग का सहारा लेना पड़ता था। सर्दियों में बर्फबारी के चलते कई बार यह सड़क मार्ग भी बंद हो जाता है। चिनाब ब्रिज के बनने के बाद यह बाधा समाप्त हो गई है। अब लोग कन्याकुमारी से सीधे कश्मीर तक रेल से यात्रा कर सकेंगे।
परियोजना की जड़ें और चुनौतियाँ
1995 में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन को मंजूरी मिली थी।
2005 में इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिला।
चिनाब ब्रिज पर काम 2004 से शुरू होकर 2024 में जाकर पूरा हो पाया।
कुल लागत अब ₹35,000 करोड़ के पार पहुंच चुकी है, जिसमें ₹1,500 करोड़ अकेले चिनाब ब्रिज पर खर्च हुए।
निर्माण में जर्मनी, कनाडा, दक्षिण कोरिया और भारत की कंपनियों ने मिलकर काम किया।
तकनीकी चमत्कार
इस पुल का निर्माण दुर्गम और संवेदनशील क्षेत्र में हुआ। इसके लिए 3000 फीट ऊंचाई तक काम करने वाले केबल क्रेन्स लगाए गए। AFCONS, कोंकण रेलवे और दक्षिण कोरिया की इंजीनियरिंग कंपनियों ने मिलकर यह निर्माण किया। खास बात यह है कि इस पुल को 120 साल तक टिकाऊ रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
रणनीतिक और कूटनीतिक महत्व
चिनाब ब्रिज सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और एकता का प्रतीक बनकर उभरा है। यह रेलवे लिंक सैनिकों की आवाजाही, आपूर्ति और राहत कार्यों में अहम भूमिका निभाएगा। साथ ही, जम्मू-कश्मीर के आर्थिक और सामाजिक विकास की रफ्तार को नई दिशा देगा।