छत्तीसगढ़राज्य

सादगी की प्रतिमूर्ति और सिद्धांत के पक्के व्यक्ति थे स्व. गोपाल व्यास : मुख्यमंत्री साय

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज राजधानी रायपुर के मेडिकल कॉलेज सभागार में राज्यसभा के पूर्व सांसद एवं प्रख्यात समाज सेवी स्व. गोपाल व्यास की श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि स्व. श्री श्रीगोपाल व्यास सादगी की प्रतिमूर्ति और अपने सिद्धांत के पक्के व्यक्ति थे। उनका निधन छत्तीसगढ़ के लिए अपूरणीय क्षति है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्व. श्रीगोपाल व्यास के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने श्रद्धाजंलि सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि अंतिम बार मुझे केन्द्रीय मंत्री श्री जेपी नड्डा के साथ उनके निवास पर जाने का मौका मिला। वहां श्री श्रीगोपाल व्यास जी से मुलाकात हुई। जब हम उनसे मिलने पहुंचे तो 90 वर्ष की आयु में भी वे अत्यंत गर्मजोशी से हम लोगों से मिले। यह उनकी आत्मीयता को दर्शाता है। बचपन से मैं उनके विषय में सुना करता था। कुनकुरी के पंडित देवकी महाराज के साथ श्री श्रीगोपाल व्यास मीसाबंदी रहे। मैं अक्सर जेल का अनुभव उनसे पूछता था। वे श्री श्रीगोपाल की सादगी के बारे में बताते थे। जब मैं सांसद बना, तब श्री श्रीगोपाल व्यास जी से प्रत्यक्ष मिलने का सौभाग्य मिला। उनसे मिलकर एहसास हुआ कि जो कुछ उनके विषय में सुना था, वो शत-प्रतिशत सही था। वे सादगी की प्रतिमूर्ति थे। सादा जीवन उच्च विचार की पंक्तियां उनके लिए सटीक हैं।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि जब मैं केंद्रीय मंत्री था, तब श्री श्रीगोपाल व्यास राज्यसभा सांसद थे। उस समय मुझे उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन मिला। वे अपने जेल के अनुभव मुझे बताते थे। श्री श्रीगोपाल व्यास जी सिद्धांतवादी और उसूलों के पक्के व्यक्ति थे। वे पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सिद्धांत में विश्वास रखते थे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि एक बार दिल्ली के व्यापार मेला में हम दोनों को साथ में छत्तीसगढ़ के स्टॉल के उद्घाटन कार्यक्रम में जाने का मौका मिला। वे उद्घाटन पर फीता काटने से मना करते थे। उनका विचार था कि हम जोड़ने वाले लोग हैं काटने वाले नहीं। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर स्व. श्री श्रीगोपाल व्यास को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से शोकसंतप्त परिजनों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना की।

सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि श्री व्यास का जीवन देखकर नहीं लगता था कि वे गृहस्थ जीवन जी रहे थे। उन्होंने सन्त की तरह जीवन जीया। राज्यसभा सदस्य रहते हुए भी वे सामान्य जीवन जीते थे। वे हर कार्यकर्ता की चिंता करते थे। बड़े दायित्व में रहते हुए वे सामान्य रूप से रहते थे। उन्होंने कभी किसी की सहायता नहीं ली। उनके जीवन से कर्त्तव्य के प्रति समर्पण और देशसेवा की सीख मिलती है। वे अंतिम समय तक सक्रिय रहे और उन्होंने अहर्निश सेवा का कार्य किया।

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