क्या जरूरी है नया कानून? सड़क दुर्घटनाओं के लिए सजा के प्रावधान के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों में रोष

नई दिल्ली: भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में सड़क दुर्घटनाओं के लिए सजा के प्रावधान के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों में रोष है। देशभर के ट्रक ड्राइवर बीएनएस की धारा 104 को वापस लेने की मांग करते हुए हड़ताल पर चले गए थे। उनकी चिंता यह है कि सड़क हादसे के लिए 10 साल जेल की सजा का प्रावधान बहुत कठोर है जो ड्राइवरों की जिंदगी और उनका परिवार तबाह कर देगा। हालांकि, सच्चाई कुछ और है। नया कानून कहता है कि अगर कोई ड्राइवर किसी को ठोकर मारकर भाग जाता है और वह घटना की रिपोर्टिंग नहीं करता है तब उसे 10 साल की सजा हो सकती है। अगर वह पुलिस को घटना की जानकारी खुद दे दे तो उसे 5 साल तक की सजा ही हो सकती है जिसका प्रावधान मौजूदा कानून में भी है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर अगर नए कानून के प्रावधान को परखें तो क्या आप कहेंगे कि यह गलत है?
यातायात रायपुर 02 जनवरी 2024
केन्द्र सरकार द्वारा सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण हेतु ‘हिट एण्ड रन’ (ठोकर मार कर भाग जाना) के लाये गये नये कानून का ट्रक ड्राइवरों एवं ट्रांसपोर्टर ऑपरेटरों द्वारा अनावश्यक विरोध प्रदर्शन कर चक्का जाम किया जा रहा है। दरअसल ट्रक चालकों एवं…— Raipur Police (@RaipurPoliceCG) January 2, 2024
पहले आंकड़े देखिए, फिर सोचिए
आइए, आपको इस सवाल का जवाब ढूंढने में थोड़ी और मदद करते हैं। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में दिल्ली में सड़क हादसों से जितनी मौतें हुईं, उनमें 47% यानी करीब आधे मामलों में पता ही नहीं चल पाया है कि आखिर टक्कर किसने मारी? इसे ही हिट एंड रन केस कहते हैं- मारो और निकल लो। सोचिए, अगर ड्राइवर की जिंदगी और उसका परिवार है तो क्या हादसे में जान गंवाने वालों की जिंदगी और परिवार का कोई महत्व नहीं? कानून सिर्फ यही कहता है कि अगर हादसा हो गया है तो इसकी जानकारी पुलिस को दें ताकि पीड़ित को जान बचाने की कोशिश की जा सके। अगर ऐसा हुआ तो निश्चित रूप से सड़क हादसों में मौतों की संख्या बहुत हद तक नीचे आ सकती है। तब कई जिंदगियां बच सकती हैं, कई परिवार एक झटके के बाद दोबारा उबर सकता है।
दिल्ली: सड़क हादसों में 47% मौतें हिट एंड रन से!
आइए सड़क हादसों में मौतों पर थोड़ा विस्तार से बात करते हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो 2002 में राजधानी दिल्ली में लगभग सड़क हादसों में होने वाली आधी मौतों की वजह ऐसे वाहन होते हैं जिनका कभी पता ही नहीं चल पाता है। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में दिल्ली में सड़क हादसों में हुई मौतों में से 47% अज्ञात वाहनों के कारण हुई थी। वहीं, कार या टैक्सी से 14% जबकि भारी वाहनों से हादसों में 12% मौतें हुई हैं। अज्ञात वाहनों ने उस साल 668 लोगों की जान ली और लगभग 1,104 को घायल कर दिया। 2023 के आंकड़े अभी तक प्रकाशित नहीं हुए हैं, लेकिन माना जाता है कि वे लगभग समान स्तर पर हैं।
देश की स्थिति भी जान लीजिए
अब जरा पूरे देश का हाल देख लें। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2022 में सभी सड़क हादसों में टक्कर मारकर भागने के मामले करीब 15% थे। यानी हर 100 दुर्घटनाओं में से 15 में टक्कर मारने वाले वाहन का पता ही नहीं चला। हिट एंड रन केस में मौतों की बात करें तो यह आंकड़ा 18% है। आइए कुछ ऐसे सवालों के जवाब भी जान लें जो आपके मन में भी उठ सकते हैं।
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले रही भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में हादसे के बाद भाग खड़े होने वाले ड्राइवरों को 10 साल तक की जेल और 7 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। हालांकि, दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन के अध्यक्ष डॉ. रोहित बाजलुजा का मानना है कि इस कानून को पूरी तरह लागू करना मुश्किल होगा। उनका कहना है कि ‘बिना उचित तैयारी और साधनों के कानून बनाना खतरनाक है। यह किसी को हथियार देकर उसे अपनी मर्जी से इस्तेमाल करने की इजाजत देने जैसा है।’ वे आगे कहते हैं, ‘दिल्ली में ही लगभग 80 हजार पुलिसकर्मी हैं, जिनमें से 5,000 ट्रैफिक पुलिस में हैं। अब इतने कम पुलिसकर्मियों से इतने सारे वाहनों और इतने बड़े क्षेत्र पर निगरानी रखना और सभी कानून तोड़ने वालों पर कार्रवाई करना लगभग असंभव है।’
लेकिन, सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ प्रिंस सिंघल का मानना है कि यह नया कानून सड़क सुरक्षा में बड़ा बदलाव लाएगा। वे कहते हैं, ‘मैं पिछले बीस साल से सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर रहा हूं और मेरा मानना है कि यह नया कानून सड़क सुरक्षा की चिंताओं को कई तरह से प्रभावित करेगा।’ सिंघल के अनुसार, यह कानून चालकों पर सुरक्षा का अधिक दबाव डालेगा। वो कहते हैं, ‘इसके चलते निजी कंपनियां ज्यादा प्रशिक्षित और लाइसेंसधारी चालकों को काम पर रखेंगी और उनके लिए रिफ्रेशर कोर्स और स्वास्थ्य जांच की भी व्यवस्था करेंगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब चालक पीड़ित को सड़क पर नहीं छोड़ेंगे क्योंकि अगर वे हादसे की सूचना देते हैं तो उन्हें कम सजा हो सकती है।’