खेलराज्य

भारत की पहली महिला पहलवान जिन्हें मिला अर्जुन अवॉर्ड

दिल्ली। ‘कुश्ती पुरुष प्रधान खेल नहीं’… ये शब्द हैं गीतिका जाखड़ के जो भारत की एक दिग्गज महिला पहलवान रही हैं। कभी कन्या भ्रूण हत्या के लिए बदनाम हरियाणा आज अपनी बेटियों के नाम से मशहूर है। यहां की बेटियां पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा रही हैं। 18 अगस्त 1985 को जन्मी गीतिका भी हरियाणा से ही ताल्लुक रखती हैं और उन्होंने कई मौकों पर देश का नाम रोशन किया है। महिला पहलवानी में क्रांति लाने वाली पहलवान और हिसार की डीएसपी गीतिका जाखड़ को खेल और कुश्ती विरासत में मिली है। वो एक खेल से जुड़े परिवार से आती हैं और उन्होंने अपने दादा से पहलवानी के गुर सीखे थे, जो अपने जमाने के जाने-माने पहलवान रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि कुश्ती गीतिका जाखड़ की पहली पंसद नहीं थी। इससे पहले उन्होंने एथलेटिक्स में अपना हाथ आजमाया था, लेकिन एक बार उन्होंने कुछ लड़कियों को कुश्ती करते देखा तो बस ठान लिया कि उन्हें भी कुश्ती है करनी है।

13 साल की उम्र में कुश्ती खेलना शुरू करने वाली गीतिका ने मात्र 15 साल की उम्र में भारत केसरी का खिताब जीता और फिर लगातार 9 वर्षों तक इस खिताब को जीतती रहीं। धीरे-धीरे ये मंच बड़ा होता गया और इस महिला पहलवान की बादशाहत बढ़ती गई। गीतिका जाखड़ भारतीय खेलों के इतिहास में एकमात्र महिला पहलवान हैं, जिन्हें 2005 राष्ट्रमंडल खेलों के सर्वश्रेष्ठ पहलवान के रूप में आंका गया। साथ ही, गीतिका पहली महिला पहलवान भी हैं, जिसे 2006 में भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था। गीतिका जाखड़ के नाम और भी कई उपलब्धियां है। 2003 और 2005 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल और 2007 में सिल्वर मेडल जीता। 2006 के एशियाई खेलों में सिल्वर मेडल और 2014 एशियाई खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2007 नेशनल गेम्स और 2007 सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में गीतिका ने गोल्ड मेडल जीते। 2009 में, उन्हें कल्पना चावला उत्कृष्टता पुरस्कार मिला।

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