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भारत एआई क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को दे रहा रफ्तार, 12 कंपनियाँ ₹65/घंटा की दर से 38,000 जीपीयू का प्रयोग करके बनाएगी मॉडल

दिल्ली। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने आज नई दिल्ली में इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) 2025 में आगामी भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026 के लिए कई प्री-समिट कार्यक्रमों की मेज़बानी की। ये कार्यक्रम 19-20 फरवरी 2026 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित होने वाले भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026 की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
उद्घाटन भाषण में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने कहा, “हमने दूसरों के अनुभवों से सीखकर, व्यावहारिक परियोजनाएँ और उत्पाद बनाने के लिए नए तरीके अपनाए हैं, जो वास्तव में हमारे लिए बदलाव लाएँगे। निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में, सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुलभ तथा सभी प्रदाताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना, अभिनव और किफायती है। यह सुनिश्चित करता है कि कम से कम संसाधनों के साथ हम सभी के लिए उपलब्धता सुनिश्चित कर सकें। कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी हमारे नज़रिए को बेहद आकर्षक माना है, जिससे एक ऐसा मॉडल तैयार किया जा सकता है, जिसका उपयोग शेष वैश्विक दक्षिण के लिए किया जा सके।”

शिखर सम्मेलन-पूर्व कार्यक्रमों में सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और वैश्विक संस्थानों के प्रमुखों ने एक साथ इस बात पर मंथन किया कि कैसे एआई डिजिटल और दूरसंचार व्यवस्था में समावेशी, सुरक्षित और सतत् विकास को गति दे सकता है। चर्चाओं में सामाजिक कल्याण, आर्थिक मज़बूती और समावेशी विकास के लिए एआई का लाभ उठाने के भारत के नज़रिए को प्रतिबिंबित किया गया, जो आगामी शिखर सम्मेलन की थीम- “कार्रवाई से प्रभाव तक” के अनुरूप है। प्रतिभागियों ने भारत के बढ़ते एआई तंत्र, भारत-एआई मिशन के तहत प्रगति और एआई तक पहुँच और नवाचार को लोकतांत्रिक बनाने वाली साझेदारियों के अवसरों पर भी चर्चा की।

प्री-शिखर सम्मेलन के एक हिस्से के रूप में चार उच्च-स्तरीय पैनल आयोजित किए गए, जिनमें भारत के एआई रोडमैप के प्रमुख आयामों पर ध्यान केंद्रित किया गया:

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव के लिए दूरसंचार में एआई – इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे एआई दूरसंचार अवसंरचना, संपर्क और सेवा वितरण को नागरिकों और व्यवसायों के लाभ के लिए बदल सकता है।
दूरसंचार में विश्वसनीय एआई का निर्माण – सुरक्षित, पारदर्शी और जन-केंद्रित एआई अपनाने के लिए रूपरेखाओं और सहयोगों पर चर्चा की गई।
भारत के एआई कार्यबल लाभ का निर्माण – एक समावेशी और भविष्य के लिए तैयार एआई प्रतिभा की व्यवस्था विकसित करने की रणनीतियों की जाँच की गई।
समावेशी विकास और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए एआई – इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कैसे एआई-संचालित नवाचार समानता और सामाजिक भलाई को बढ़ावा दे सकता है।

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