
रायपुर। दादाबाड़ी में आत्मोत्थान चातुर्मास 2025 के अंतर्गत चल रहे प्रवचन श्रृंखला में परम पूज्य श्री हंसकीर्ति श्रीजी म.सा. ने धर्मरत्न प्रकरण ग्रंथ का पठन कर रही हैं। इसी क्रम में सोमवार को उन्होंने कहा कि जीवन एक मूल्यवान अवसर है, जिसे हमें इस प्रकार जीना चाहिए कि हमारे कार्यों से किसी को पीड़ा या कष्ट न पहुंचे। किसी भी स्थिति में ऐसा कोई काम न करें जिससे किसी के मन को ठेस लगे या उनके जीवन में दुख आए। कई बार लोग अपने स्वार्थ या क्रोध में आकर दूसरों को नुकसान पहुंचा देते हैं और यह सोचते हैं कि इससे उन्हें कोई लाभ मिलेगा या वे अधिक सुखी हो जाएंगे। लेकिन यह सोच पूरी तरह से भ्रम है।
वास्तविकता यह है कि संसार का हर कर्म एक ऊर्जा की तरह कार्य करता है। यदि आपने किसी को दुख दिया है, तो वह पीड़ा आपके ही जीवन में किसी न किसी रूप में लौटकर जरूर आएगी। कर्मसत्ता यानी ईश्वर की न्याय प्रणाली बहुत ही सूक्ष्म और अचूक है। आपके हर अच्छे-बुरे कर्म का लेखा-जोखा रखा जाता है। हो सकता है कि वर्तमान में आपको अपने गलत कर्मों का परिणाम न दिखे, लेकिन समय आने पर उनका फल अवश्य मिलता है।
कर्मों का सिद्धांत यही कहता है कि जो जैसा करता है, उसे वैसा ही भुगतना पड़ता है। इसलिए जीवन में हमेशा सत्कर्म करें। आपके शब्द, व्यवहार और सोच किसी को चोट न पहुंचाएं। अपने सुख की खोज में यदि आप किसी और के सुख को छीन लेते हैं, तो वह सुख आपके लिए स्थायी नहीं होगा। अंततः वही व्यक्ति सफल और शांत रहता है, जो अपने कर्मों में दूसरों के कल्याण की भावना रखता है।
दादागुरुदेव इकतीसा की धूम दादाबाड़ी में
27 दिवसीय दादागुरुदेव रात्रि 8 से 10 बजे तक खरतरगच्छ युवक परिषद के संयोजन सुरेश भंसाली के मार्गदर्शन में निरन्तर गतिमान है। आज इकतीसा पश्चात भक्ति श्रीमती शताब्दी ढ़ेलड़िया की रही, जिन्होंने दादागुरुदेव के प्राचीन व सुमधुर प्रस्तुति दी। आज की भक्ति श्री अंकित लोढ़ा की रहेगी।
आत्मोत्थान चातुर्मास समिति 2025 के अध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे साध्वीजी का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।