
दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा, “क्या हम उन देशों को सशक्त बनाने का जोखिम उठा सकते हैं जो हमारे हितों के प्रतिकूल हैं? समय आ गया है जब हममें से प्रत्येक को आर्थिक राष्ट्रवाद के बारे में गहराई से सोचना चाहिए,” उन्होंने कहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि, “हम अब अपनी भागीदारी के कारण उन देशों की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार करने के लिए यात्रा या आयात के माध्यम से जोखिम नहीं उठा सकते हैं जो देश संकट के समय हमारे देश के विरूद्ध खड़े होते हैं। आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए , श्री धनखड़ ने कहा, “प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र की सुरक्षा में सहायता करने का अधिकार है। व्यापार, व्यवसाय, वाणिज्य और उद्योग विशेष रूप से सुरक्षा के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमें हमेशा एक बात ध्यान में रखनी चाहिए, और वह है: राष्ट्र सर्वप्रथम। हर चीज को गहरी प्रतिबद्धता, अटूट प्रतिबद्धता, राष्ट्रवाद के प्रति समर्पण के आधार पर माना जाना चाहिए और यह मानसिकता हमें अपने बच्चों को पहले दिन से ही सिखानी चाहिए।