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हफ्ते भर में CAA लागू करने का दावा था ‘जुबान की फिसलन’

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर पश्चिम बंगाल से बीजेपी के लोकसभा सांसद और केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग राज्यमंत्री शांतनु ठाकुर के हालिया बयान ने खासी हलचल मचा दी थी.(Citizen Amendment Act 2016)उन्होंने पिछले हफ्ते कहा था कि देशभर में हफ्ते भर के अंदर सीएए लागू कर दिया जाएगा. हालांकि केंद्रीय मंत्री ने अब अपने उस बयान पर सफाई दी है.

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शांतनु ठाकुर ने कोलकाता में पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि सीएए जल्द ही लागू किया जाएगा. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कबूल किया कि 29 जनवरी को किया उनका दावा ‘जुबान की फिसलन’ था.(Citizen Amendment Act 2016)उन्होंने कहा, ‘दरअसल, मैं यह कहना चाहता था कि सीएए के लिए नियमों के निर्धारण को अंतिम रूप दिया जाएगा. लागू किए जाने की बात जुबान की फिसलन थी.’

 

क्या है CAA?

सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के लागू होने पर तीन पड़ोसी मुस्लिम बाहुल्य देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए उन लोगों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी, जो दिसंबर 2014 तक किसी ना किसी प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आए. इसमें गैर- मुस्लिम माइनोरिटी- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं. नागरिकता संशोधन बिल पहली बार 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था. यहां से तो ये पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था. बाद में इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया और फिर 2019 का चुनाव आ गया. फिर से मोदी सरकार बनी. दिसंबर 2019 में इसे लोकसभा में दोबारा पेश किया गया. इस बार ये बिल लोकसभा और राज्यसभा, दोनों जगह से पास हो गया. 10 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी. लेकिन उस समय कोरोना के कारण इसमें देरी हुई.

CAA को लेकर साल 2020 से लगातार एक्सटेंशन लिया जा रहा है. दरअसल, संसदीय प्रक्रियाओं की नियमावली के मुताबिक किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की सहमति के 6 महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए. ऐसा ना होने पर लोकसभा और राज्यसभा में अधीनस्थ विधान समितियों से विस्तार की मांग की जानी चाहिए. सीएए के केस में 2020 से गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समितियों से नियमित अंतराल में एक्सटेंशन लेता रहा है.

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