
घुमावदार पहाड़ी रास्तों पर चलते हुए जब देवदार के पेड़ों से छनकर आती ठंडी हवा चेहरे को छूती है और पास ही कहीं से घी, जखिया और लकड़ी के चूल्हे पर पकते खाने की खुशबू आती है, तो समझ लीजिए आप उत्तराखंड की असली दुनिया में पहुंच चुके हैं। यहां की रसोई सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि पहाड़ की आत्मा को महसूस कराने का जरिया है। अक्सर लोग नैनीताल, मसूरी या केदारनाथ जैसे पर्यटन स्थलों पर केवल नजारों के लिए जाते हैं, लेकिन देवभूमि की असली खूबसूरती उसके पारंपरिक खाने में छिपी है। पहाड़ी भोजन सादगी से भरा होता है, फिर भी इसका स्वाद किसी फाइव-स्टार होटल की थाली पर भारी पड़ता है।
मंडुवे की रोटी
सर्दियों में मंडुवे की रोटी पहाड़ी घरों में आम है। फाइबर से भरपूर यह रोटी जब गरम-गरम घी या सफेद मक्खन और गुड़ के साथ खाई जाती है, तो शरीर और स्वाद दोनों को तृप्त करती है।
झंगोरे की खीर खास
मीठे में झंगोरे की खीर खास है। झंगोरा अनाज से बनी यह खीर हल्की, स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है, जो सामान्य चावल की खीर से अलग पहचान रखती है।
भट्ट की चुर्कानी
भट्ट की चुर्कानी उत्तराखंड की पहचान मानी जाती है। काले भट्ट को लोहे की कढ़ाही में भूनकर धीमी आंच पर पकाया जाता है। इसका गहरा रंग और खट्टा-नमकीन स्वाद चावल के साथ बेहद लाजवाब लगता है।


