राजस्थानराज्य

राजस्थानी माटी की महक से खिंचे चले आएंगे देश-विदेश से प्रवासी

जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार के जेईसीसी में पहले प्रवासी राजस्थानी दिवस का भव्य आयोजन करने जा रही है। यह कार्यक्रम देश और विश्वभर में बसे प्रवासी राजस्थानी समुदाय के लिए जड़ों से जुड़ने और अपनी मातृभूमि के लिए योगदान करने की दिशा में एक अनूठी पहल साबित होगा।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के विजन से प्रेरित होकर राजस्थान अभूतपूर्व सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और इस परिवर्तन को गति देने में प्रवासी राजस्थानियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इसी क्रम में राज्य के विकास में प्रवासी राजस्थानियों की भूमिका को और सशक्त करने, उनकी उपलब्धियों का सम्मान करने और उन्हें निवेश, नवाचार तथा सामाजिक योगदान के नए अवसरों से जोड़ने के लिए यह आयोजन किया जा रहा है। प्रवासी राजस्थानी दिवस के लिए पंजीकरण प्रारंभ होते ही देश-विदेश में बसे प्रवासी समुदाय में इस कार्यक्रम को लेकर बेहद उत्साह दिखाई दे रहा है और वे राजस्थान के विकास में अपनी भूमिका को लेकर सक्रिय रूप से आगे आ रहे हैं।

राजस्थान की समृद्ध विरासत और बदलते प्रदेश की दिखेगी झलक

प्रवासी राजस्थानी दिवस में राज्य की सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक धरोहर, लोक-कला और परंपराओं के साथ-साथ आधुनिक और तेजी से विकसित होते राजस्थान की झलक भी दिखाई देगी। आयोजन में राजस्थान की लोक विरासत पर आधारित विशेष रंगारंग सांस्कृतिक संध्या प्रस्तुत की जाएगी, जो प्रवासियों को अपनी जड़ों से भावनात्मक रूप से जोड़ने का माध्यम बनेगी। साथ ही इस अवसर पर सेक्टोरल सेशन्स के माध्यम से राज्य में ऊर्जा, पर्यटन, शिक्षा, उद्योग, स्वास्थ्य और जल संसाधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी भी प्रदान की जाएगी, ताकि प्रवासी समुदाय प्रदेश की विकास यात्रा से परिचित हो सके।

सेक्टोरल सत्रों में होगा नए अवसरों पर गहन विमर्श

विविध विषयों पर होने वाले सेक्टोरल सत्रों में विशेषज्ञ राजस्थान के बदलते औद्योगिक एवं निवेश परिवेश और जुड़ाव की संभावनाओं पर विचार रखेंगे। पर्यटन सत्र में विशेषज्ञ राजस्थान के परम्परागत हैरिटेज टूरिज्म के साथ-साथ एडवेंचर और वॉटर बेस्ड पर्यटन के नए स्वरूपों पर अपने विचार रखेंगे। शिक्षा सत्र में शिक्षा जगत के विशेषज्ञों के साथ वे प्रवासी राजस्थानी भी शामिल होंगे जिन्होंने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। स्वास्थ्य सत्र में चिकित्सा, फार्मा और हेल्थ टेक्नोलॉजी से जुड़े विशेषज्ञ राज्य में उभरती संभावनाओं पर चर्चा करेंगे। जल संसाधन सत्र में नवीनतम जल संरचनाओं और पारंपरिक जल संरक्षण पद्धतियों पर विशेष जानकारी दी जाएगी। इन सत्रों का उद्देश्य प्रवासी समुदाय को प्रदेश में उपलब्ध अवसरों और संभावनाओं से अवगत कराना तथा उनके सुझाव शामिल करना है, जो कि राज्य के विकास की नीति-निर्धारण का आधार बनेंगे। विशेष एनआरआर ओपन हाउस सत्र इस कार्यक्रम का बड़ा आकर्षण रहेगा। राजस्थान फाउंडेशन के 26 चैप्टर्स से आए वे प्रवासी, जिन्हें ‘प्रवासी राजस्थानी सम्मान’ मिल चुका है, वे भी इस सत्र में अपने विचार रखेंगे।
प्रवासी राजस्थानियों के लिए खुले सहभागिता के नए द्वार

राज्य सरकार ने प्रवासी राजस्थानियों की मातृभूमि के प्रति निष्ठा और योगदान की भावना को सम्मान देते हुए सहभागिता फ्रेमवर्क तैयार किया है। यह फ्रेमवर्क प्रवासी समुदाय को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सामाजिक अवसंरचना, स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में योगदान करने का अवसर देता है। राज्य सरकार ने प्रवासी राजस्थानियों के परिवारों की समस्याओं के समाधान के लिए ‘सिंगल प्वाइंट ऑफ कॉन्टेक्ट’ के रूप में सभी जिलों में अतिरिक्त जिला कलक्टर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।

– कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान प्रवासी राजस्थानियों को अपने गांव, कस्बे और क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए जोड़ती है। इस अभियान के माध्यम से रेन वाटर हार्वेसिं्टग और भू-जल पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण के लिए प्रवासियों का सहयोग लिया जा रहा है, ताकि जल सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
– विद्यालय की भामाशाह योजना-2025 के द्वारा प्रवासी एवं दानदाता सरकारी विद्यालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस योजना में आधुनिक अवसंरचना, आईसीटी सुविधाओं, स्वच्छता और डिजिटल संसाधनों के विकास में भागीदारी का अवसर है। बड़े योगदान पर विद्यालयों को दानदाता के नाम से पहचान देने का भी प्रावधान है।
– इसके साथ ही ऑनलाइन फंडिंग प्लेटफॉर्म ज्ञान संकल्प पोर्टल के माध्यम से प्रवासी समुदाय अपनी पसंद की शिक्षा परियोजनाओं में ऑनलाइन योगदान कर सकते हैं।
– राज्य सरकार ने सरकारी संस्थानों के नामकरण की नीति भी लागू की है जिसके अंतर्गत दानदाताओं द्वारा निर्माण लागत के अनुरूप कॉलेज, अस्पताल, स्कूल या उनकी आंतरिक सुविधाओं का नामकरण किया जा सकता है।

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