खेल

भारतीय मुक्केबाजों के पास घरेलू दर्शकों के बीच ताकत दिखाने का मौका

नोएडा। विश्व मुक्केबाजी बदलाव के दौर से गुजर रही है। खेल की नई अंतरराष्ट्रीय नियामक संस्था, विश्व मुक्केबाजी, ने नया प्रतियोगिता कैलेंडर, प्रारूप और रैंकिंग प्रणाली तैयार की है। भार वर्ग को घटाकर 13 से 10 कर दिया गया है। ओलंपिक शैली की मुक्केबाजी को और अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए विश्व मुक्केबाजी कप की सीरीज शुरू की गई। ग्रेटर नोएडा में शनिवार से विश्व मुक्केबाजी कप फाइनल शुरू हो रहा है। कैलेंडर का सबसे महत्वपूर्ण टूर्नामेंट, विश्व चैंपियनशिप, सितंबर में आयोजित किया गया था।

ग्रेटर नोएडा में ओलंपिक पदक विजेताओं, विश्व पदक विजेताओं और विश्व कप चरण विजेताओं में अंतरराष्ट्रीय सितारों की अच्छी-खासी संख्या देखने को मिलेगी। उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान और चीनी ताइपे जैसे शीर्ष मुक्केबाजी देशों की मौजूदगी इस प्रतियोगिता को कठिन बना रही है। चीन इस टूर्नामेंट में भाग नहीं ले रहा है। पुरुषों में, विश्व कांस्य पदक विजेता इंग्लैंड के कामारा ओडेल पॉली और पोलैंड चरण के स्वर्ण पदक विजेता इटली के अत्रातिवो साल्वाटोर पर सबकी नजर रहेगी।

भारत के लिए टूर्नामेंट अहम है। हाल ही में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में चार महिला मुक्केबाजों मीनाक्षी हुड्डा (48 किग्रा), विश्व चैंपियन जैस्मीन लाम्बोरिया (57 किग्रा), विजेता नूपुर श्योराण (+80 किग्रा), और कांस्य पदक विजेता पूजा रानी (80 किग्रा) सभी भारतीय टीम का हिस्सा हैं। दो बार की विश्व चैंपियन निखत जरीन (51 किग्रा) भी हिस्सा ले रही हैं। पेरिस ओलंपियन प्रीति पवार 54 किग्रा वर्ग में साक्षी चौधरी की जगह टीम में वापसी कर रही हैं।

भारतीय पुरुष टीम में हितेश (70 किग्रा), अभिनाश जामवाल (65 किग्रा), सचिन (60 किग्रा), जदुमणि मंदेंगबाम (50 किग्रा), और लक्ष्य चाहर (80 किग्रा) से उम्मीदें होंगी। इन सभी ने विश्व कप के विभिन्न चरणों में प्रभावित किया है। इससे घरेलू मैदान में इनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद बढ़ गई है।

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