छत्तीसगढ़राज्य

विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर:गांव-गांव तक योजनाओं की पहुँच सुनिश्चित करने के निर्देश

रायपुर। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह ने आज मंत्रालय महानदी भवन में राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों में विकास कार्यों की समीक्षा की। बैठक में बस्तर, सुकमा, दक्षिण बस्तर, दंतेवाड़ा, उत्तर बस्तर कांकेर, नारायणपुर, कोंडागांव, बीजापुर, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी और गरियाबंद जिलों में हितग्राही मूलक कार्यक्रमों और योजनाओं की समीक्षा की गई।

प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह ने नक्सल प्रभावित जिलों में मनरेगा, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड, उज्ज्वला योजना, जनधन खाता, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, आधार कार्ड सहित अन्य हितग्राही मूलक कार्यक्रमों की विस्तार से समीक्षा की।

बैठक में बताया गया कि एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में लगभग 99 प्रतिशत से अधिक लोगों का आधार पंजीकरण पूरा कर लिया गया है। इसी प्रकार लगभग 28 लाख 18 हजार 616 किसानों का प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत पंजीकरण कर उन्हें योजना का लाभ दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 26 लाख 21 हजार 491 हितग्राहियों के बैंक खाते खोले गए हैं। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 35 लाख 66 हजार 409 हितग्राहियों को गंभीर बीमारियों के उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। ग्रामीण इलाकों में मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए मोबाइल टावर स्थापित किए जा रहे हैं। क्षेत्र में लोगों को अधिक से अधिक बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु विभिन्न बैंकों और डाकघरों की शाखाएं खोली जा रही हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सभी पात्र हितग्राहियों को नियमित रूप से खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए राशन कार्ड बनाए गए हैं।

बैठक में प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह ने निर्देशित किया कि क्षेत्र के सभी पात्र मनरेगा हितग्राहियों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु उनका जॉब कार्ड अवश्य प्रदान किया जाए। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत स्वीकृत सभी आवासों का निर्माण कार्य शीघ्र पूरा किया जाए तथा सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को प्रधानमंत्री आवास उपलब्ध कराए जाएं।

उन्होंने निर्देश दिया कि महतारी वंदन योजना के अंतर्गत शेष हितग्राहियों का शीघ्र सर्वे कर उन्हें लाभान्वित किया जाए। आत्मसमर्पित नक्सलियों को कौशल विकास योजना के तहत क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप विशेष ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया जाए। प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की भवन-विहीन शालाओं के भवन शीघ्र निर्मित किए जाएं और यह सुनिश्चित किया जाए कि प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय एक ही परिसर में हों।

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