
छत्तीसगढ़ अब अपने स्थापना के 25 वर्ष पूरे करने जा रहा है। एक युवा राज्य, जो अपनी संस्कृति, संसाधन और संघर्ष की शक्ति के बल पर नए भारत के विकास का प्रतीक बन चुका है। यह अवसर केवल उत्सव का नहीं, बल्कि उन सपनों को याद करने का भी है, जिनके बीज भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने बोए थे। उनकी दूरदृष्टि और आत्मविश्वास ने इस धरती को उसकी अपनी पहचान दी, “छत्तीसगढ़ राज्य” के रूप में।
पौने तीन दशक की यह यात्रा किसी साधारण प्रदेश की कहानी नहीं है। यह उस मिट्टी का गौरवगान है जिसने अपने परिश्रम, अपने विश्वास और अपनी अस्मिता से असंभव को संभव किया। आज जब हम रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, तो यह गर्व से कह सकते हैं कि छत्तीसगढ़ केवल 25 वर्ष का राज्य नहीं, बल्कि 25 वर्षों का अनुभव, ऊर्जा और आत्मविश्वास से भरा हुआ युवा प्रदेश है, जिसकी आंखों में नए भारत का उज्जवल सपना झिलमिला रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में जिस दृढ़ संकल्प से इस प्रदेश ने लाल आतंक पर निर्णायक प्रहार किया है, वह अपने आप में इतिहास बन गया है। कभी भय और असुरक्षा से जूझता यह प्रदेश आज विकास के सूरज से आलोकित है। आत्मनिर्भरता, सुशासन और सुरक्षा, इन तीन स्तंभों पर अब नया छत्तीसगढ़ मजबूती से खड़ा है।
1 नवंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रजत जयंती समारोह में सम्मिलित होंगे, तो यह उन सभी स्वप्नदृष्टाओं के प्रति श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने छत्तीसगढ़ को उसकी अस्मिता दी। वहीं 5 नवंबर को रायपुर के आसमान में भारतीय वायुसेना की “सूर्य किरण एरोबेटिक टीम” का भव्य हवाई प्रदर्शन इस उत्सव को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। यह केवल आकाश में रंगों की परतें नहीं होंगी, बल्कि एक संदेश होगा कि छत्तीसगढ़ अब खुले आसमान में आत्मविश्वास के साथ उड़ान भरने को तैयार है।इस रजत जयंती पर, एक जनप्रतिनिधि के रूप में मैं यह प्रण करता हूं कि यह यात्रा अब स्वर्णिम युग की ओर अग्रसर होगी। हमारी युवा शक्ति का जोश, मातृशक्ति का संकल्प, किसानों की कर्मनिष्ठा और उद्यमियों का कौशल, ये सभी मिलकर आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ को भारत की विकास गाथा का अग्रदूत बनाएंगे।
छत्तीसगढ़ अब सीमाओं में बंधा राज्य नहीं, बल्कि नई संभावनाओं की पहचान बन चुका है। इस रजत जयंती अवसर पर हम सभी यह संकल्प लें कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और नारी सशक्तिकरण के मार्ग पर अपने इस राज्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएँगे।


