मध्य प्रदेशराज्य

मध्यप्रदेश के प्रत्येक ज़िले में नये एडॉप्शन एजेंसी खोली जाएगी

भोपाल। महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने सोमवार को राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण जागरूकता कार्यशाला का शुभारंभ किया। सुश्री भूरिया ने कहा कि यह सर्वविदित है कि बच्चे का सर्वोत्तम विकास परिवार में होता है। भारतीय संस्कृति में परिवार को समाज की महत्वपूर्ण कड़ी माना गया है। समस्त संस्कार और गतिविधियां परिवार पर केंद्रित होती है। एक मज़बूत और सुसंस्कृत परिवार ही स्वस्थ समाज के निर्माण का आधार होता है। सुश्री भूरिया ने कहा कि देश में दत्तक ग्रहण को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल नवंबर के महीने में दत्तक ग्रहण जागरूकता माह मनाया जाता है। ये पहल CARA और इसके सहयोगियों द्वारा आयोजित की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य क़ानूनी गोद लेने की प्रक्रिया के बारे में जागरूकता बढ़ाना और पूरे भारत में गोद लेने के महत्व को बढ़ावा देना ,गोद लेने वाले परिवारों की आवश्यकता और बच्चों के जीवन में गोद लेने में सकारात्मक प्रभाव को उजागर करना है। मंत्री सुश्री भूरिया ने कहा कि जो बच्चे ऑप्शन में तुरंत नहीं जा पाते हैं उन्हें अस्थायी रूप से फ़ॉस्टर केयर में रखा जाता है। फ़ॉस्टर केयर में बच्चों विशेषकर बड़े बच्चे और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को घर दिलाना आवश्यक होता है। हमारी कोशिश है कि अधिकतम बच्चों को फोस्टर केयर के माध्यम से परिवार मिल सके। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश एडॉप्शन प्रक्रिया को सरल करने के 12 सुझाव दिए थे इसमें से 6 सुझाव भारत सरकार ने मान्य किए है। इससे प्रक्रिया में काफ़ी सुधार हुआ है। अभी भी लगभग 20 हज़ार से ज़्यादा पेरेंट्स एडॉप्शन के लिए तैयार हैं परंतु केवल 4 हज़ार 500 बच्चे ही गोद दिए जाने के लिए तैयार हैं। विभाग द्वारा परित्यक्त बच्चों को विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरणों तक सुरक्षित ढंग से पहुँचाने के लिए अस्पतालों ,दत्तक ग्रहण एजेंसी के बाहर और ऐसे हॉटस्पॉट जहां नवजात शिशु को छोड़ जाने की संभावना होती है,265 पालना स्थापित कराए हैं। ज़िलों में और नए पालना स्थापित करने के संबंध में भी निर्देश दिए गए हैं। इससे बच्चों को झाड़ियों में फेंके जाने की घटना में आश्चर्यजनक रूप में कमी आई है। हमे इस बात की ख़ुशी है कि मध्य प्रदेश ने इस दिशा में अच्छी पहल की है जिसकी देश भर में सराहना हो रही है। मंत्री सुश्री भूरिया ने कहा कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप प्रत्येक ज़िले में नए एडॉप्शन एजेंसी खोली जाएगी। नए सत्र से प्रदेश के हर ज़िले में शिशुगृह स्थापित होंगे।

कार्यशाला में भोपाल रीजनल कॉलेज की सहायक प्राध्यापक सुश्री शिवाली सरकार ने एक बच्ची को अडॉप्ट करने के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने विभागीय मंत्री और कारा का आभार मानते हुए दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को थोड़ा और सरल करने का अनुरोध किया। किलकारी एजेंसी के माध्यम से एक बच्ची को गोद लेने वाले स्पेन की दंपत्ति ने भी अपना अनुभव साझा किया।

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