दिल्लीराज्य

वन्यजीव आवासों के संपूर्ण विकास का 100 दिन का लक्ष्य हासिल

दिल्ली। मंत्रिमंडल ने 11 सितंबर की अपनी बैठक में 15वें वित्त आयोग अवधि के लिए वन्यजीव आवासों के संपूर्ण विकास की केंद्र प्रायोजित योजना को जारी रखने की मंजूरी दी, जिसका कुल व्यय 2602.98 करोड़ रुपये है। उक्त योजना में प्रोजेक्ट टाइगर के साथ-साथ प्रोजेक्ट एलीफेंट और वन्यजीव आवासों के विकास का महत्वपूर्ण उप घटक शामिल है। यह सरकार की 100 दिवसीय कार्य योजना में शामिल मदों में से एक था।

योजना के मौजूदा मौलिक और प्रमुख घटकों को मजबूत करते हुए, इस योजना में बाघ और वन्यजीव युक्त वनों में मौजूदा और अगले वित्तीय वर्ष में विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी पहलों को बढ़ावा देने की परिकल्पना की गई है। प्रोजेक्ट टाइगर में पहले से ही दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन अभ्यासों में एम-स्ट्राइप्स (बाघों, उनके गहन संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिति के लिए निगरानी प्रणाली) मोबाइल एप्लिकेशन जैसी प्रौद्योगिकी का अंतर्निहित उपयोग शामिल है। यह एप्लिकेशन डिजिटल इंडिया पहल के अनुरूप है और 2022 में अखिल भारतीय बाघ अनुमान के 5वें चक्र के दौरान क्षेत्र स्तर के पर्यावरणीय डेटा के संग्रह के लिए बड़े पैमाने पर उसका इस्तेमाल किया गया था। अखिल भारतीय बाघ अनुमान अपने आप में तकनीकी रूप से गहन है, जिसमें देश भर में बाघों के आवासों में कैमरा ट्रैप की व्यापक तैनाती की गई है। इसमें प्रजातियों के स्तर की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का भी उपयोग किया गया है। संरक्षण आनुवंशिकी का भी बाघ संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रूप से उपयोग किया गया है, जिसमें बाघों की आनुवंशिक संरचना के आधार पर उनके स्थानांतरण के लिए एक एसओपी जारी किया गया है। इसके अलावा, आनुवंशिकी का उपयोग कम घनत्व वाली जगहों में बाघों की संख्या निर्धारित करने के साथ-साथ इन प्रजातियों की खाद्य पर्यावरणीय स्थिति का निर्धारण करने के लिए भी किया गया है। उक्त योजना के तहत इन उपायों को बढ़ाने का प्रस्ताव है।

प्रोजेक्ट टाइगर घटक देश में महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीता का भी समर्थन करता है जिसे वन्यजीव आवासों के संपूर्ण विकास की छत्र योजना के तहत जारी रखा जाएगा। उक्त योजना के तहत चीता कार्य योजना के अनुसार चीता आवास क्षेत्रों का विस्तार करने का प्रस्ताव है और उन्नत रेडियो टेलीमेट्री प्रोटोकॉल का उपयोग करके निगरानी प्रोटोकॉल को मजबूत करने के प्रयास किए जाएंगे। योजना के अंतर्गत, 55 बाघ अभयारण्य, 33 हाथी अभयारण्य और 718 संरक्षित क्षेत्र तथा उनके प्रभाव क्षेत्र लाभान्वित होंगे। इन क्षेत्रों के वन जलवायु परिवर्तन की प्रतिकूलताओं के विरुद्ध एक सुरक्षा कवच हैं, साथ ही राष्ट्र की जल सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा, इन जगहों में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियों, विशेषकर बाघ, हाथी, चीता, हिम तेंदुआ और शेर के हित को बढ़ावा मिलेगा जो इन पर्यावरणीय तंत्रों के संकेतक के रूप में कार्य करते हैं। इतना ही नहीं, कम ज्ञात प्रजातियां, विशेषकर वन्यजीव आवास घटक के विकास के अंतर्गत प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के लिए पहचानी गई प्रजातियां, इस योजना के जारी रहने से लाभान्वित होंगी।

इस योजना में प्रत्यक्ष जुड़ाव के माध्यम से 50 लाख से अधिक मानव दिवसों की आजीविका सृजन के अलावा इको-टूरिज्म और सहायक गतिविधियों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रोजगार भी है।

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