लोभ रूपी मलिनता को दूर कर आत्मा को बनाएं निर्मल
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए दिया जा रहा आस्था का संदेश
रायपुर: जीवन जीने की विशिष्ट शैली के लिए पहचाने जाने वाले जैन संप्रदाय के लोग अपने सबसे बड़े त्योहार पर्वाधिराज पयूर्षण पर साधना, तपस्या की चरम स्थिति को प्राप्त करने में लीन है। दस दिनों तक चलने वाले पर्व का समापन अनंत चतुर्दशी को होगा। इससे पूर्व जैन श्रावक कठोर नियमों का पालन कर आत्मा को शुद्ध बनाकर मोक्ष मार्ग के लिए खुद को तैयार करने में जुटे हुए हैं। डीडी नगर स्थित श्री 1008 वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर में पर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म और चैथे दिन उत्तम शौच धर्म का पालन कराया गया। कटंगी मध्यप्रदेश से आए बाल ब्रह्मचारी अरूण भैया ने बताया कि मन की ऋजुता अर्थात् सरलता को होना आर्जव धर्म है। मानव का सरल दिखना आसान हो सकता है मगर सरल बनना बहुत कठिन है। मन, वचन और काय से समानता आने पर ही इस धर्म का सही अर्थ चरितार्थ हो सकता है। उत्तम शौच धर्म के बारे में समझाते हुए उन्होंने कहा कि हम श्रृंगार, सौंदर्य प्रसाधनों के माध्यम से शरीर को सुंदर बनाने में व्यर्थ ही समय गवां रहे हैं जबकि असली सौंदर्य तो मन की शुचिता, तप, साधना से आता है। इस दौरान मंदिर में प्रतिदिन संगीतमयी विशेष पूजन विधान कराये जा रहे हैं। बुधवार को पुष्पदंत भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया और विशेष निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। वहीं श्री जी का विशेष अभिषेक और शांतिधारा नरेश, वंदना, हर्ष, संजय, तृप्ति जैन, निर्मल कुमार, शशिकांत, रविकांत, दीपक, दर्शिल, बाहुबली, अमिता जैन द्वारा कराई गई। संध्याकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी मंे पंच परमेष्ठि भगवान के प्रति आस्था रखने का संदेश लघु नाटिका रेत के ढेर के माध्यम से दिया गया। लोभ और धन संपदा की लालच में आकर सौदा करके दंपत्ति अपने पुत्र को राजा को बलि देने के लिए सौंप देते हैं। तब मृत्युशैया के निकट होकर भी पुत्र प्रभु पर आस्था रखते हुए भक्ति में लीन हो जाता है। बालक की ईश्वरीय भक्ति, धैर्यता और कुशाग्र बुद्धि से प्रभावित होकर राजा बलि देने जैसे अंधविश्वास पर शर्मिन्दा होता है और उस बालक को ही अपना उत्तराधिकारी बनाकर राज्य का राजा घोषित कर देता है। रेत के ढेर के शानदार संगीतमयी मंचन को दर्शकों ने खूब सराहा और भरपूर तालियों से कलाकारों का स्वागत किया।
इस कार्यक्रम की संयोजक अनीता जैन और सुमन जैन थीं। नाटक में राजा का किरदार डाॅ. मंजुला जैन, रानी अनिता जैन, मंत्री ज्योति जैन, तांत्रिक सुमन जैन, बालक सुनीता जैन, पिता नंदा जैन, माता संगीता जैन व द्वारपाल प्रिया जैन ने निभाया। नाटिका के समस्त कलाकारों को डाॅली जैन व दीपक जैन द्वारा विशेष पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर मंगलाचरण की शानदार नृत्य प्रस्तुति इतिशा जैन द्वारा दी गई। इस दौरान श्री दिगंबर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष नरेश जैन, सचिव विकास जैन, कोषाध्यक्ष राजेश जैन एवं आदिश्वर महिला मंडल की वर्षा जैन, श्रृद्धा, वंदना, राजुल, अंजलि, सहित समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।