छत्तीसगढ़

जैन संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज ने ली समाधि,3 दिन के कठिन उपवास के बाद शरीर त्यागा

दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का शनिवार रात 2.35 बजे छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरि तीर्थ में निधन हो गया। पूर्ण जागरूकता की अवस्था में उन्होंने आचार्य का पद त्याग दिया और 3 दिनों तक उपवास और पूर्ण मौन रखा, जिसके बाद उन्होंने अपना जीवन त्याग दिया। उनके निधन की खबर मिलते ही डोंगरगढ़ में जैन समाज के लोग जुटने लगे। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर 1 बजे किया जाएगा।

 

 

आचार्य समय सागर को सौंपा दायित्व

इससे पहले मंगलवार 6 फरवरी की दोपहर में उन्होंने मुनियों को अलग से भेजकर निर्यापक श्रमण मुनिश्री योग सागरजी से चर्चा करने के बाद संघ संबंधी कार्यों से संन्यास ले लिया और उसी दिन उन्होंने आचार्य पद से भी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने सबसे पहले ऋषि शिष्य निरियापक श्रमण मुनि श्री समयसागर जी महाराज को आचार्य पद के योग्य समझा और उसके बाद ही उन्हें आचार्य पद पर नियुक्त करने की घोषणा की। हालांकि, इसकी आधिकारिक जानकारी कल दी जाएगी।

 

 

कर्नाटक में जन्मे थे आचार्य विद्यासागर

आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन कर्नाटक के बेलगाम जिले के सदलगा गांव में हुआ था। विद्यासागर महाराज को 22 नवंबर 1972 को नसीराबाद, अजमेर, राजस्थान में आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज द्वारा आचार्य के रूप में दीक्षा दी गई थी।

 

दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज देश के एकमात्र ऐसे आचार्य थे, जिन्होंनेथ  अब तक 505 मुनियों, आर्यिकाओं, ऐलकों, क्षुल्लकों को दीक्षा दी है। हालांकि बीते चारों से उन्होंने किसी को दीक्षा नहीं दी थी। अंतिम  समारोह 28 नवंबर 2018 को उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में आयोजित किया गया था। जिसमें 10 को मुनि दीक्षा दी गई।

 पिछले साल पीएम मोदी ने लिया था आशीर्वाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल 5 नवंबर को डोंगरगढ़ पहुंचे थे। इसी दौरान चंद्रगिरि पर्वत पर उनकी मुलाकात आचार्य विद्यासागर जी महाराज से हुई। प्रधानमंत्री ने उनका आशीर्वाद लिया और उनसे चर्चा की। bसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि मैं आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी का आशीर्वाद पाकर धन्य महसूस कर रहा हूं।

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