Raipur

स्वदेशी मेला में दर्शकों की उमड़ी भीड़, लोगों में दिखी आत्मनिर्भरता की झलक

रायपुर। युद्ध कौशल में गतका के हैरतअंगेज निपुणता से पल में दुश्मन को मात देने की प्रतिभा प्रदर्शन ने दर्शक को अंचभित कर दिया और वे सांसे रोककर कलाकारों की प्रस्तुति को निहारते रहे। वहीं बस्तर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले मल्लखंभ के कलाकारों ने अपने करतबों ने दर्शकों को हतप्रभ कर दिया।(Swadeshi fair in raipur)स्वदेशी मेला में प्रतिदिन जहां विभिन्न स्टालों के जरिए देश भर के बेहतरीन उत्पादों को देखने उसे खरीदने के लिए लोग एकजुट हो रहे हैं वहीं विभिन्न प्रतियोगिताओं के जरिए सैकड़ों प्रतिभागी बच्चों से लेकर युवा, महिलाएं तक अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए मशक्कत कर उसे गरिमामयी मंच के माध्यम से पेशकर वाहवाही अर्जित कर रहे हैं।

मठपुरैना के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल की बालिकाओं ने बेटी बचाओं विषय पर नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर मार्मिक प्रस्तुति दी और लोगों को सोचने पर विवश कर दिया। एकल नृत्य की प्रतियोगिता जिसमें स्कूल व काॅलेजों के युवाओं के लिए आयोजित की गई थी। इसमें पहले 100 से ज्यादा लोगों का पहले ऑडिशन लेकर चयन किया गया और उसके बार 20 प्रतिभागियों का चयन किया गया था।(Swadeshi fair in raipur) चयनित प्रतिभागियों ने क्लासिकल, बाॅलीवुड, फोक डांस, वेस्टर्न डांस की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी, जिसे देखकर दर्शक तालियां बजाते रहे और आनंदित होते रहे। देर रात तक चले इन कार्यक्रमों का दर्शकों ने भरपूर लुत्फ उठाया।

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दोपहर में शिशु वेशभूषा प्रतियोगिता में मासूमों ने चंद्रयान, झांसी की रानी, किसान, सैनिक, सोशल मीडिया की मनोहारी छबि धारण कर देश की प्रगति और सामाजिक संदेशों के जरिए लोगों के मन को मोह लिया। इसमें 32 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। जूनियर और सीनिया जूनियर के दो वर्गों में आयोजित इस प्रतियोगिता में सैनिक बने अरूण कुमार को प्रथम स्थान मिला, वेदिका जैन ने अंतरिक्ष यान की मनोहारी छबि में पेश हुईं, सीनियर में प्रथम पथ को प्राप्त हुआ जो सनातम धर्म को बखूबी प्रस्तुत किए, विवेकानंद के रूप में अनिरूद्ध को द्वितीय, जीजाबाई की छबि में श्रावी को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। इस कार्यक्रम की प्रभारी रेखा शर्मा, गौरी राव, दिव्यांशी शर्मा, सीमा शर्मा, नूतन कमल रंधावा व श्रृद्धा श्रीवास्तव रहीं।

भगवान श्रीराम के जीवन के विविध प्रसंगों वनगमन, राजा वेशभूषा में, हनुमान के हृदय में राम, रावण दहन, सीता का वियोग जैसे कथानक को खूबसूरत रंगों के द्वारा कैनवास पर उतार दिया। रंग भरो और चित्रकला प्रतियोगिता में 50 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसके निर्णायक दल में राहुल दत्ता,अन्नू ओझा, प्रीतम तांडी, अरविंद यदु, मनहरण देवागंन, अनुष्का चक्रवर्ती थे। इसके प्रभारी अर्चना भाकरे, सतीश जिलहरे, शकंुतला श्रीवास्तव, रिषिका व सुषमा झा थीं। रंग भरो के प्रथम वर्ष में प्रथम साईंराम ठाकुर, द्वितीय कनिका निर्मलकर, तृतीय अलीना परवीन रहीं, सांत्वना पुरस्कार अनीषा बावण कर को दिया गया। इसके बी वर्ग में प्रथम जे. दिशा राव, द्वितीय लक्ष यादव, तृतीय स्थान वानी वर्मा व सांत्वना पुरस्कार शिवानी को मिला। चित्रकला प्रतियोगिता के वर्ग ए में प्रथम अर्णव पी चोपकर, द्वितीय स्वर्णिका सेनगुप्ता व तृतीय एन रघुराम रहे, सांत्वना पुरस्कार सुप्रीत महानंद को मिला। वर्ग बी में प्रथम दक्ष देवणा, द्वितीय रोशनी बघेल, तृतीय युक्तिका यादव रहीं व सांत्वना पुरस्कार हेमेंद्र साहू को मिला।

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