डीयू चुनाव 2025: ABVP ने लहराया परचम, NSUI ने उपाध्यक्ष का पद जीता

नई पहल न्यूज नेटवर्क। नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव 2025 के नतीजे शुक्रवार को घोषित हुए और कैंपस की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में आ गई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अपनी परंपरागत मजबूती को कायम रखते हुए चार में से तीन पद जीत लिए। वहीं, राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) ने उपाध्यक्ष पद पर जीत दर्ज कर यह संदेश दिया कि डीयू में मुकाबला अभी भी दिलचस्प और बहुस्तरीय है।
चुनावी नतीजों की पूरी तस्वीर
पद विजेता प्रत्याशी संगठन मिले वोट प्रमुख प्रतिद्वंद्वी वोट
अध्यक्ष (President) आर्यन मान ABVP 28,841 जोसलिन नंदिता चौधरी (NSUI) 12,645
उपाध्यक्ष (Vice President) राहुल झांसला NSUI 29,339 गोविंद तंवर (ABVP) 20,547
सचिव (Secretary) कुणाल चौधरी ABVP 20,554 कबीर (NSUI) 13,561
संयुक्त सचिव (Joint Secretary) दीपिका झा ABVP 18,500 लवकुश भड़ाना (NSUI) 15,135
नतीजों की खास बातें
1. ABVP का दबदबा – अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद पर जीत दर्ज कर संगठन ने डीयू में अपनी पकड़ और मजबूत की।
2. NSUI की उपस्थिति – उपाध्यक्ष पद पर राहुल झांसला की जीत ने यह साबित किया कि NSUI अभी भी मैदान में टक्कर देने को तैयार है।
3. महिला शक्ति का उदय – संयुक्त सचिव पद पर ABVP की दीपिका झा की जीत महिला उम्मीदवारों की बढ़ती भूमिका का संकेत है।
4. करीबी मुकाबला – उपाध्यक्ष पद पर NSUI और ABVP के बीच बेहद दिलचस्प जंग देखने को मिली, जहाँ राहुल झांसला ने लगभग 9 हजार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।
मतदान और चुनावी माहौल
इस बार करीब 2.75 लाख छात्र मतदाता बने, जिनमें से लगभग 39.45% छात्रों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
मतदान 52 कॉलेजों और 195 बूथों पर हुआ।
चुनाव के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए, खासकर नॉर्थ कैंपस और साउथ कैंपस में।
प्रचार के दौरान लिंगदोह कमिटी के दिशानिर्देशों का पालन किया गया। इस बार पोस्टर-बैनर की जगह डिजिटल कैंपेन और आमने-सामने संवाद को ज्यादा तरजीह दी गई।
विवाद और चुनौतियाँ
NSUI ने EVM में गड़बड़ी का आरोप लगाया, और मतगणना के दौरान कई बार नाराज़गी भी जताई।
कुछ बूथों पर तकनीकी खराबी और लंबी कतारों को लेकर छात्रों ने आपत्ति दर्ज की।
चुनाव से पहले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के चलते 75% से कम उपस्थिति वाले छात्रों को चुनाव लड़ने से रोका गया, जो कई प्रत्याशियों और संगठनों के लिए बड़ा झटका था।
छात्रों के मुद्दे बने एजेंडा
इस बार चुनावी घोषणापत्रों में छात्रों से जुड़े मुद्दे खास तौर पर हावी रहे –
सस्ती और सुविधाजनक मेट्रो पास योजना
कॉलेजों में बेहतर वाई-फाई और डिजिटल सुविधाएँ
महिला सुरक्षा और छात्रावास की कमी का समाधान
छात्रों के लिए बेहतर लाइब्रेरी और खेल सुविधाएँ
इन मुद्दों ने छात्रों के मतदान व्यवहार को काफी प्रभावित किया।
राजनीतिक और सामाजिक महत्व
डीयू छात्रसंघ चुनाव हमेशा से राष्ट्रीय राजनीति का आईना माना जाता है। यहाँ से निकले कई चेहरे आगे चलकर राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल कर चुके हैं।
ABVP की जीत देशभर में उसकी बढ़ती पकड़ का प्रतीक मानी जा रही है।
NSUI की उपाध्यक्ष पद पर जीत यह संकेत देती है कि कांग्रेस समर्थित संगठन अभी भी छात्र राजनीति में अपना स्थान बनाए हुए है।
चुनाव में महिला और नए चेहरों की भागीदारी ने यह दिखाया कि डीयू का छात्र समाज बदलती सोच और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है।
नतीजों का सार
ABVP – 3 पद (अध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव)
NSUI – 1 पद (उपाध्यक्ष)
वामपंथी संगठनों को कोई सीट नहीं मिली